राष्ट्रीय
22-Dec-2025
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-चीन समेत कई देश 5वीं पीढ़ी के साथ ही 6वीं जेनरेशन वेपन सिस्‍टम पर कर रहे काम नई दिल्ली,(ईएमएस)। स्‍टील्‍थ फाइटर जेट, ड्रोन और हाइपरसोनिक मिसाइल्‍स को इंटरसेप्‍ट कर पाना ट्रेडिशनल रडार सिस्‍टम के बस की बात नहीं है। चीन समेत कई देश पांचवीं पीढ़ी के साथ ही 6वीं जेनरेशन वेपन सिस्‍टम पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल्‍स भी बड़ा खतरा है। इन सबको देखते हुए हर देश के लिए ठोस एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप करना जरूरी हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की ट्रंप सरकार ने 175 अरब डॉलर की लागत से गोल्‍डन डोम डेवलप करने का ऐलान किया है। उसके पास थॉड मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम पहले से ही है। इजराइल के पास आयरन डोम है। मॉस्‍को ने एस-400 के साथ ही एस-500 जैसा ताकतवर एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप किया है। भारत ने एस-400 की 5 स्‍क्‍वाड्रन खरीदी है। इसके अलावा और यूनिट इंपोर्ट करने की तैयारी है। रूसी एस-500 एयर डिफेंस सिस्‍टम स्‍पेस वॉर से निपटने में सक्षम बताया जाता है। भारत कोशिश कर रहा है कि इसे हासिल किया जा सके। इन सबको देखते हुए भारत मिशन सुदर्शन चक्र यानी नेशनल एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप करने में जुटा है। इसे आने वाले 10 सालों में पूरी तरह से विकसित करने का लक्ष्‍य रखा है। अब इसी मिशन सुदर्शन चक्र को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। इस सिस्‍टम को हाइपरसोनिक मिसाइल्स के खतरे से निपटने योग्‍य बनाया जा रहा है। डीआरडीओ ने इसको लेकर काम करना शुरू कर दिया है। भारत की महत्वाकांक्षी बहु-स्तरीय वायु और मिसाइल रक्षा पहल ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ में भविष्य में हाइपरसोनिक मिसाइल डिफेंस को एक अहम हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इसका उद्देश्य देशभर के लिए एक मजबूत और आधुनिक सुरक्षा कवच तैयार करना है। फिलहाल डीआरडीओ की स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल परियोजना ‘प्रोजेक्ट कुश’ में एम-2 इंटरसेप्टर शामिल है, जिसमें हाइपरसोनिक इंटरसेप्शन की सीमित क्षमता मौजूद है। हालांकि यह क्षमता मुख्य रूप से उन सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए है, जो फिर से प्रवेश के दौरान मैक-5 से ज्यादा गति हासिल करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्र में हाइपरसोनिक हथियारों की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए भारत की यह योजना बदलते सुरक्षा माहौल को समझने और उससे निपटने की दिशा में एक अहम कदम है। ऐसे हथियार पारंपरिक बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के बीच की रेखा को धुंधला कर देते हैं, जिससे रक्षा तैयारियों को और उन्नत करना जरूरी है। सुदर्शन चक्र के तहत देशभर में एक एआई-सक्षम रक्षा कवच तैयार करने की परिकल्पना की गई है। इसके शुरुआती चरणों में एस-400, आकाश और प्रोजेक्ट कुशा जैसे मौजूदा व उभरते सिस्टम शामिल होंगे। आगे चलकर यह प्रणाली ड्रोन, स्‍टील्‍थ विमान, बैलिस्टिक मिसाइलों और हाइपरसोनिक खतरों से समग्र सुरक्षा देने में सक्षम होगी। सिराज/ईएमएस 22 दिसंबर 2025