लेख
22-Dec-2025
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(किसान दिवस 23 दिसम्बर) हम सब धरती पुत्र ही हैं, परंतु धरती के सबसे प्रिय पुत्र किसान ही होते हैं l कृषि किसी भी देश की रीढ़ होती है, और उस रीढ़ के रक्षक किसान होते हैं, महापुरुषों ने किसानों को सभ्यता की नींव, देश की रीढ़ और आशावादी बताया है; महात्मा गांधी के अनुसार, उद्धार किसानों से ही संभव है, जबकि थॉमस जेफरसन ने कृषि को सबसे बुद्धिमान कार्य कहा, और जॉन एफ. केनेडी ने किसान को अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख कारक बताया जो हर चीज़ थोक में बेचकर और खुदरा में खरीदकर भाड़ा भी भरता है; इनके अलावा कई अन्य विचारकों ने भी किसानों के धैर्य, मेहनत और महत्व को सराहा है, बुक़र टी. वॉशिंगटन ने कहा कि खेत जोतना कविता लिखने जितना ही सम्मानजनक है। कृषि प्रधान देश में जहां देश के किसानो को आंदोलन के ज़रिए अपनी बात कहने के लिए दिल्ली जाने से रोक दिया जाता है, उसी देश में एक ऐसे महान नेता हुए जिन्हें किसानो का मसीहा कहा गया, देश के प्रधानमंत्री बने परंतु प्रमुख पहिचान उनकी एक किसान के रूप में ही होती है, जिनको दुनिया भारतरत्न चौधरी चरण सिंह के नाम से जानती है l किसान दिवस भारत के पूर्व पीएम किसानों के मसीहा भारतरत्न चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर को मनाया जाता है। चरण सिंह किसानों के सर्वमान्य नेता थे। उन्होंने भूमि सुधारों पर काफ़ी काम किया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में और केन्द्र में वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने गांवों और किसानों को प्राथमिकता में रखकर बजट बनाया था। उनका मानना था कि खेती के केन्द्र में है किसान, इसलिए उसके साथ कृतज्ञता से पेश आना चाहिए और उसके श्रम का प्रतिफल अवश्य मिलना चाहिए। किसान हर देश की प्रगति में विशेष सहायक होते हैं। एक किसान ही है जिसके बल पर देश अपने खाद्यान्नों की खुशहाली को समृद्ध कर सकता है। देश में राष्ट्रपिता गांधी जी ने भी किसानों को ही देश का सरताज माना था। लेकिन देश की आज़ादी के बाद ऐसे नेता कम ही देखने में आए जिन्होंने किसानों के विकास के लिए निष्पक्ष रूप में काम किया। ऐसे नेताओं में सबसे अग्रणी थे, देश के पूर्व पीएम भारतरत्न चौधरी चरण सिंह। चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए याद किया जाता है। चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व ग़रीबों को ऊपर उठाने की थी। उन्होंने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश व प्रदेश का विकास नहीं हो सकता। चरण सिंह ने किसानों की खुशहाली के लिए खेती पर बल दिया था। किसानों को उपज का उचित दाम मिल सके इसके लिए भी वह गंभीर थे। उनका कहना था कि भारत का संपूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मज़दूर, ग़रीब सभी खुशहाल होंगे। किसानों के मसीहा चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में हुआ था। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चौधरी साहब ने किसानों, पिछड़ों और ग़रीबों की राजनीति की। उन्होंने खेती और गाँव को महत्व दिया। वह ग्रामीण समस्याओं को गहराई से समझते थे और अपने मुख्यमंत्रित्व तथा केन्द्र सरकार के वित्तमंत्री के कार्यकाल में उन्होंने बजट का बड़ा भाग किसानों तथा गांवों के पक्ष में रखा था। वे जातिवाद को ग़ुलामी की जड़ मानते थे और कहते थे कि जाति प्रथा के रहते बराबरी, संपन्नता और राष्ट्र की सुरक्षा नहीं हो सकती है। आज़ादी के बाद चरण सिंह पूर्णत: किसानों के लिए लड़ने लगे, चरण सिंह की मेहनत के कारण ही ‘‘जमींदारी उन्मूलन विधेयक” साल 1952 में पारित हो सका। इस एक विधेयक ने सदियों से खेतों में ख़ून पसीना बहाने वाले किसानों को जीने का मौका दिया। जोत अधिनियम1960 जमीन की अधिकतम सीमा तय कर उसे एक समान बनाने के लिए यह कानून लाए। विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास के प्रबल समर्थक थे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन में योगदान दिया। मंत्रियों के वेतन और भत्तों में कटौती जैसे जनहितकारी कदम उठाए। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जब वे उप प्रधानमंत्री थे। ज़मींदारी उन्मूलन, भारत की गरीबी और उसका समाधान, किसानों की भूसंपत्ति जैसी कई किताबें और पुस्तिकाएं लिखीं, जो उनके विचारों को दर्शाती हैं l दृढ़ इच्छा शक्ति के धनी चरण सिंह ने प्रदेश के 27000 पटवारियों के त्यागपत्र को स्वीकार कर ‘लेखपाल‘ पद का सृजन कर नई भर्ती करके किसानों को पटवारी आतंक से मुक्ति तो दिलाई ही, प्रशासनिक धाक भी जमाई। लेखपाल भर्ती में 18 प्रतिशत स्थान हरिजनों के लिए चौधरी चरण सिंह ने आरक्षित किया था। उत्तर प्रदेश के किसान चरण सिंह को अपना मसीहा मानने लगे थे। उन्होंने समस्त उत्तर प्रदेश में भ्रमण करते हुए कृषकों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाक़ों में कृषि मुख्य व्यवसाय था। कृषकों में सम्मान होने के कारण इन्हें किसी भी चुनाव में हार का मुख नहीं देखना पड़ा l भारतरत्न चौधरी चरण सिंह जैसे नेता सदियों में जन्म लेते हैं l (लेखक पत्रकार हैं) ईएमएस / 22 दिसम्बर 25