23-Dec-2025
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वॉशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका में हरित ऊर्जा उद्योग के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को एक कड़ा निर्णय लेते हुए समुद्र में निर्माणाधीन सभी प्रमुख ऑफशोर विंड प्रोजेक्ट्स के फेडरल लीज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। प्रशासन का तर्क है कि समुद्र में स्थापित ये विशाल पवन चक्कियां और उनकी घूमने वाली ब्लेडें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं। हालांकि, इन कथित खतरों की प्रकृति को लेकर अब तक कोई विस्तृत या सार्वजनिक जानकारी साझा नहीं की गई है, जिससे उद्योग जगत और राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से ऑफशोर विंड एनर्जी के आलोचक रहे हैं, और इस ताजा फैसले को उनकी ऊर्जा नीति का सबसे आक्रामक कदम माना जा रहा है। इस आदेश का सीधा असर अरबों डॉलर के निवेश पर पड़ेगा। जानकारों का अनुमान है कि इससे लगभग 6 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता ठप हो सकती है, जो आने वाले वर्षों में अमेरिकी ग्रिड का हिस्सा बनने वाली थी। यह निलंबन अटलांटिक महासागर में चल रही पांच बड़ी परियोजनाओं पर लागू होगा। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वर्जीनिया का विशाल ऑफशोर विंड फार्म है, जिसे साल 2026 तक पूरा होना था। यह प्रोजेक्ट न केवल अमेरिका का सबसे बड़ा विंड फार्म बनने वाला था, बल्कि वर्जीनिया स्थित दुनिया के सबसे बड़े डेटा सेंटर क्लस्टर की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए भी बेहद अहम था। इसके अलावा न्यू इंग्लैंड तट के पास चल रहे अन्य प्रोजेक्ट्स भी अब अधर में लटक गए हैं। अमेरिकी गृह मंत्रालय ने इस फैसले के पीछे रक्षा विभाग की गोपनीय रिपोर्टों का हवाला दिया है। प्रशासन का कहना है कि विंड टर्बाइनों की विशाल ब्लेडें और उनसे होने वाला प्रकाश परावर्तन (रिफ्लेक्शन) रडार प्रणालियों में हस्तक्षेप पैदा कर सकता है। अधिकारियों का दावा है कि ईस्ट कोस्ट पर रडार इंटरफेरेंस के कारण नागरिक इलाकों की निगरानी और सुरक्षा तंत्र प्रभावित हो रहा है। हालांकि, रक्षा विभाग के ही कुछ सूत्रों का कहना है कि इन खतरों को कम करने के तकनीकी उपायों पर अभी विचार किया जा रहा था, लेकिन प्रशासन ने उससे पहले ही निलंबन का रास्ता चुन लिया। इस फैसले के सामाजिक और आर्थिक परिणाम भी गंभीर होने की आशंका है। राजनीतिक स्तर पर, वर्जीनिया और अन्य राज्यों के सीनेटरों ने इसे राष्ट्रपति की निजी पसंद-नापसंद से प्रेरित बताया है। उनका तर्क है कि यदि सुरक्षा चिंताएं इतनी ही बड़ी थीं, तो प्रशासन को पारदर्शी तरीके से जानकारी देनी चाहिए थी। वहीं, ऑफशोर एनर्जी इंडस्ट्री से जुड़े संगठनों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से न केवल हजारों नौकरियां खत्म होंगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का अमेरिकी ऊर्जा बाजार से भरोसा भी उठ जाएगा। उद्योग जगत का कहना है कि वे पिछले एक दशक से रक्षा विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हर परियोजना को सभी आवश्यक सुरक्षा मंजूरियां मिलने के बाद ही शुरू किया गया था। अचानक लिए गए इस निर्णय ने अमेरिका के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों और आर्थिक स्थिरता के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। वीरेंद्र/ईएमएस/23दिसंबर2025 ------------------------------------