23-Dec-2025
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इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ डिफेंस एग्रीमेंट किया था। इस एग्रीमेंट के मुताबिक एक देश पर हमला दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। अब इसी तरह का एक और समझौता बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान करना चाह रहा है। यह समझौता पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में ऐतिहासिक मोड़ की तरह होगा। दोनों देश एक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट पर काम कर रहे हैं, जिसे दक्षिण एशिया की सुरक्षा राजनीति में बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है। इस प्रस्तावित समझौते को गति देने के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश ने एक उच्चस्तरीय संयुक्त तंत्र का गठन किया है, जिसका प्राथमिक कार्य समझौते की शर्तों को तय करना और एक अंतिम मसौदा तैयार करना है। बताया जा रहा है कि बांग्लादेश का वर्तमान सैन्य नेतृत्व पाकिस्तान के साथ रणनीतिक और रक्षा सहयोग बढ़ाने में विशेष रुचि प्रदर्शित कर रहा है। पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो दोनों देशों की थलसेना, वायुसेना और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ताएं संपन्न हो चुकी हैं। इन बैठकों के परिणामस्वरूप प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सैन्य आदान-प्रदान से संबंधित कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं, जो भविष्य के व्यापक रक्षा समझौते की नींव माने जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता से हटने के बाद वहां के राजनीतिक और कूटनीतिक समीकरणों में भारी बदलाव आया है। पूर्ववर्ती सरकार के समय जो संबंध ठंडे बस्ते में चले गए थे, उन्हें अब रक्षा और सुरक्षा सहयोग के मोर्चे पर फिर से सक्रिय किया जा रहा है। हालांकि, कूटनीतिक सूत्रों का यह भी कहना है कि इस साझा रक्षा समझौते पर प्रगति निरंतर जारी है, लेकिन इसके अंतिम मसौदे और औपचारिक मंजूरी के लिए बांग्लादेश के आगामी आम चुनावों तक प्रतीक्षा की जा सकती है, ताकि आने वाली नई सरकार इसे संवैधानिक वैधता प्रदान कर सके। पाकिस्तान की यह डिफेंस डिप्लोमेसी केवल बांग्लादेश तक ही सीमित नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, लगभग आठ अन्य देश भी पाकिस्तान के साथ इसी तरह के रणनीतिक और पारस्परिक रक्षा समझौतों में रुचि दिखा रहे हैं। यह इस्लामाबाद की उस बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसके तहत वह क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग में अपनी भूमिका को पुनः परिभाषित और मजबूत करना चाहता है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ता यह सैन्य समन्वय निश्चित रूप से दक्षिण एशिया के अन्य देशों, विशेषकर भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती पेश कर सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र की पारंपरिक सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ा असंतुलन पैदा करने की क्षमता रखता है। वीरेंद्र/ईएमएस/23दिसंबर2025