लेख
23-Dec-2025
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24 दिसम्बर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस) हमेशा सही कार्य करें, भले ही वह लोकप्रिय न हो; समय आपके मूल्य को समझा देगा और आपके ग्राहक आप पर भरोसा करेंगे - रतन टाटा आज का दौर विशुद्ध बाजारवादी है, यूरोप व अमेरिका बाज़ारवादी अवधारणा को पोषित करने वाली शक्तियों के रूप विख्यात हैं, पूरे विश्व के बाज़ार पर जिसका अधिक प्रभुत्व है वह आज अधिक शक्तिशाली है। भारत भी एक प्रमुख शक्ति बनने के मुहाने पर खड़ा है, परंतु यहां उपभोक्ता अधिकारों की समझ पूर्णतः विकसित नहीं है, सामान्य उपभोक्ता कई बार बाज़ार की चालाकियाँ समझ नहीं पाता है। बाज़ार में उपभोक्ता के तौर पर वह कई बार ठगा जाता है लेकिन उसका कोई भी हल उसके पास नहीं रहता। भारत में सामाजिक, शैक्षणिक स्थितियाँ अभी यूरोप व अमेरिकी देशों जैसी नहीं हैं। यहाँ का सामान्य उपभोक्ता बहुत जागरूक नहीं तो अशिक्षित उपभोक्ता के जागरूक होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जागरूकता का अभाव दिखाई देता है। लेकिन जब जागरूक उपभोक्ताओं के साथ कुछ गड़बड़ी होती है तो उनका असंतोष नज़र आता है। भारत में कई उत्पादों पर (आई. एस. आई, एफ. एस. एस एआई ) एगमार्क या हॉलमार्क जैसे निशान होते हैं, जो उनकी गुणवत्ता की गारंटी देते हैं। अगर किसी उत्पाद पर ये निशान नहीं हैं, तो इसका मतलब है उसकी गुणवत्ता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। टीवी पर जागो ग्राहक जागो जैसे प्रचार भी उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए दिखाए जाते हैं। अलग‑अलग उत्पादों के लिए अलग‑अलग मानक बनाए गए हैं। इसके अलावा, लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम 2009 और उपभोक्ता कल्याण कोश जैसी पहल भी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए हैं। भारत में शैक्षणिक स्थितियाँ अभी बहुत बेहतर नहीं है। एक बड़ा वर्ग केवल साक्षर है, उसके पास नागरिक अधिकारों की समझ नहीं है l वर्तमान तकनीक का दौर है। यह बड़ी तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है। टेक्नोलॉजी आज सहज रूप में उपलब्ध है। वह वित्तीय लेन-देन के लिए बहुत आसानी से उपयोग किया जाता है, सवाल वही है क्या जागरुकता है? कम पढ़े‑लिखे लोग अक्सर ठगे जाते हैं, लेकिन अभी तक इसके लिए मजबूत नियम नहीं हैं, अगर नियम हैं तो कहीं-कहीं पालन नहीं है l समय के साथ उपभोक्ता के तौर-तरीक़ों में आए बदलावों को ध्यान में रखते हुए साक्षर-निरक्षर, जागरूक-ग़ैरजागरूक का फ़र्क़ मिटाते हुए उनके हितों के लिए अभी कार्य किया जाना शेष है। जागरूक व्यक्ति तो आज अनेक अधिकारों को जान रहा है, उस तरह व्यवहार कर रहा है लेकिन जो जागरूक नहीं है उसे और अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने 24 दिसंबर को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था। यह दिन भारतीय ग्राहक आन्दोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया। और प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा l आज प्रत्‍येक व्‍यक्ति एक उपभोक्ता है, चाहे उसका व्‍यवसाय, आयु,‍ लिंग, समुदाय तथा धार्मिक विचारधारा कोई भी हो। उपभोक्ता अधिकार और कल्‍याण आज प्रत्‍येक व्‍यक्ति के जीवन का अविभाज्‍य हिस्‍सा बन गया है और हमने अपनी दैनिक जीवन में इस सभी का कहीं न कहीं उपयोग किया है। प्रत्‍येक वर्ष 15 मार्च को विश्‍व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। यह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी द्वारा की गई एक ऐतिहासिक घोषणा में बताया गया था, जिसमें चार मूलभूत अधिकार बताए गए हैं। सुरक्षा का अधिकार, सूचना पाने का अधिकार, चुनने का अधिकार, सुने जाने का अधिकार, इस घोषणा से अंतत: यह तथ्‍य अंतरराष्‍ट्रीय रूप से मान्‍य हुआ कि सभी नागरिक, चाहे उनकी आय या सामाजिक स्थिति कोई भी हो उन्‍हें उपभोक्त के रूप में मूलभूत अधिकार हैं। 9 अप्रैल 1985 एक अन्‍य उल्‍लेखनीय दिवस है, जब संयुक्‍त राष्‍ट्र की महा सभा द्वारा उपभोक्‍ता संरक्षण के लिए मार्गदर्शी सिद्धांतों का एक सैट अपनाया गया और संयुक्‍त राष्‍ट्र के महा सचिव को नीति में बदलाव या कानून द्वारा इन मार्गदर्शी सिद्धांतों को अपनाने के लिए सदस्‍य देशों से बातचीत करने का अधिकार दिया गया। (लेखक पत्रकार हैं ) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 23 ‎दिसम्बर /2025