नेपीता (ईएमएस)। म्यांमार में 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद पहली बार 28 दिसंबर को चुनाव कराए जाने की तैयारी है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। विश्लेषकों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि यह चुनाव लोकतंत्र की ओर कदम नहीं, बल्कि सैन्य शासन की सत्ता को वैध ठहराने की कवायद है। पूर्व नेता आंग सान सू ची जेल में हैं, उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को भंग कर दिया गया है और देश का करीब एक-तिहाई हिस्सा या तो विद्रोहियों के नियंत्रण में है या विवादित क्षेत्रों में आता है। ऐसे में “स्वतंत्र और निष्पक्ष” चुनाव के दावे पर कम ही लोग भरोसा जता रहे हैं। तख्तापलट के बाद देश छोड़ चुके 25 वर्षीय पाई का कहना है, “यह चुनाव जनता के लिए नहीं, बल्कि सेना अपने लिए कर रही है। वे अंतरराष्ट्रीय दबाव से निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं।” वहीं, सैन्य शासन ने आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव जनता के हित में हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राय उनके लिए मायने नहीं रखती। हालांकि संयुक्त राष्ट्र और कई पश्चिमी देशों ने इस चुनाव को दिखावा करार दिया है। संघर्ष की तीव्रता भी बढ़ी है। 2025 में हवाई और ड्रोन हमलों में करीब 30% की वृद्धि हुई है और जबरन भर्ती के मामलों में भी इजाफा हुआ है। इन हालात में चुनाव से स्थिरता आने की उम्मीद कम ही जताई जा रही है।