नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत में वायु प्रदूषण कोविड-19 महामारी के बाद सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बन गया है। ब्रिटेन में काम करने वाले भारत के कई सीनियर डॉक्टरों ने इसको लेकर चिंता जाहिर की और दावा किया है। डॉक्टरों ने कहा कि आने वाले सालों में प्रदूषण से लोगों की सेहत और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर लंबे समय तक असर पड़ेगा। अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या हर साल और गंभीर होती जाएगी। पिछले 10 सालों में हृदय रोगों में बढ़ोतरी को मोटापे से जोड़ा गया, लेकिन इसमें कारों और विमानों से निकलने वाले जहरीले तत्वों की बड़ी भूमिका है। भारत सरकार की कोविड-19 एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य मनीष गौतम ने कहा कि वायु प्रदूषण पर सरकार का फोकस जरूरी है, लेकिन इसमें काफी देरी हो चुकी है। उत्तर भारत में रहने वाले लाखों लोगों में नुकसान पहले ही हो चुका है। जो इलाज हो रहा है, वह समस्या का केवल एक छोटा हिस्सा है। सिरदर्द, थकान, हल्की खांसी, गले में जलन, पाचन संबंधी दिक्कत, आंखों में सूखापन, त्वचा पर रैश और बार-बार संक्रमण जैसे शुरुआती लक्षण अक्सर मामूली समझकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, जबकि ये गंभीर बीमारियों के संकेत हो सकते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक दिसंबर में दिल्ली के अस्पतालों में सांस संबंधी मरीजों की संख्या में 20 से 30फीसदी बढ़ी है। इनमें कई युवा और पहली बार इलाज कराने वाले मरीज शामिल थे। सिराज/ईएमएस 26दिसंबर25