बेंगलुरु (ईएमएस)। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने भारत की सामरिक सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर अपनी बात रखी है। बेंगलुरु स्थित सद्गुरु सन्निधि में आयोजित सत्संग के दौरान जब उनसे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की सिलीगुड़ी कॉरिडोर को लेकर की गई टिप्पणियों पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे भारत के विभाजन की देन बताते हुए 78 साल पुरानी विसंगति करार दिया। सद्गुरु ने कहा कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर चिकन नेक कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली बेहद संकरी जमीन है। यह स्थिति 1947 के विभाजन के समय बनी थी। उन्होंने कहा कि भले ही 1946-47 में भारत के पास इसे सुधारने का अधिकार या परिस्थितियां न रही हों, लेकिन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद भारत के पास पूरा अवसर और अधिकार था, जिसे खो दिया गया। सद्गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी अपनी बात शेयर की। उन्होंने एक्स पर लिखा, सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत के विभाजन से पैदा हुई 78 साल पुरानी विसंगति है, जिसे 1971 में ठीक किया जाना चाहिए था। अब जब देश की संप्रभुता को खुली चुनौती मिल रही है, तो समय आ गया है कि इस चिकन को पोषण देकर हाथी बनाया जाए। सद्गुरु ने प्रतीकात्मक भाषा में कहा कि किसी भी देश की नींव कमजोरी पर नहीं टिक सकती। उन्होंने कहा, राष्ट्र सिर्फ चिकन बनकर नहीं चल सकता, उसे हाथी बनना होगा। इसके लिए अगर पोषण चाहिए, ताकत चाहिए, या कोई और ठोस कदम उठाने पड़ें, तो वह करना ही होगा। हर कदम की कीमत होती है, लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा उससे कहीं बड़ी है। सुबोध/ २९ -१२-२०२५