नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को अपने ही फैसले पर रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर गंभीर चिंता भी जताई और केंद्र से कई तकनीकी सवालों पर जवाब तलब किया है। अपने पूर्व के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा बेहद ज़रूरी है। इसके लिए डोमेन एक्सपर्ट्स की हाई पावर्ड कमेटी गठित की जाएगी, जो खनन के पर्यावरणीय असर, परिभाषा की सीमाओं और संरक्षण की निरंतरता जैसे मुद्दों की भी जांच करेगी। मामले पर अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को स्पष्ट किया है कि अरावली पहाड़ियों से जुड़े 20 नवंबर के आदेश को अगली सुनवाई तक लागू नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 जनवरी 2026 तय कर दी। तब तक मामले में यथास्थिति बनाए रखने के साथ ही सभी अहम पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जा सकेगा। अरावली मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, कि कोर्ट की कुछ परिणामी टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जिस पर स्पष्टता जरूरी है। इसी के साथ ही सीजेआई ने कहा, कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और ठोस रिपोर्ट जरुरी है। उन्होंने अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा, 500 मीटर से अधिक दूरी की स्थिति, माइनिंग पर रोक या अनुमति एवं उसके दायरे को लेकर गंभीर अस्पष्टताओं को सुलझाने की आवश्यकता भी बताई। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था, कि इस मुद्दे को समग्र रूप से देखने की आवश्यकता है और न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा, कि विशेषज्ञों द्वारा एक ठोस माइनिंग प्लान तैयार किया जाएगा, जिसे अदालत की मंजूरी के बाद ही लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत पब्लिक कंसल्टेशन भी होगा। सीजेआई ने इस पूरी पहल की सराहना भी की। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स की परिभाषा को लेकर उठे विवाद पर स्वत: संज्ञान लिया है। हिदायत/ईएमएस 29दिसंबर25