हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी भारतीय महिला ने शेयर किए अपने अनुभव नई दिल्ली,(ईएमएस)। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी भारतीय महिला चार्मी कपूर ने बताया है कि वह अमेरिका के बजाय भारत में रहना क्यों पसंद करती हैं। जबकि अक्सर लोग मानते हैं कि अमेरिका जैसे विकसित देश में जाकर जीवन आसान और बेहतर होता है, लेकिन चार्मी के अनुभव इसके विपरीत हैं। वह वर्तमान में रेजरपे में एसोसिएट डायरेक्टर ऑफ डिज़ाइन के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, अधिक पैसा और आज़ादी है, लेकिन भारत में परिवार, समाज और अपनापन उन्हें ज्यादा महत्वपूर्ण लगता है। चार्मी कहती हैं कि भारत में रहते हुए उन्हें रोज़मर्रा की जिंदगी में आभार महसूस करने का मौका मिलता है। सड़क पर काम करने वाले ऑटो चालक, सफाई कर्मचारी और छोटे कारोबारी उन्हें जीवन के छोटे सुखों के लिए आभारी बनाते हैं। वहीं अमेरिका में जीवन आरामदायक होने के बावजूद लोग अक्सर और अधिक पाने की चाह में रहते हैं, जिससे मन को शांति नहीं मिलती। भारत में लोगों का सहयोग और मदद करने की प्रवृत्ति भी उन्हें आकर्षित करती है। पड़ोसी, जान-पहचान वाले और अजनबी भी बिना सवाल किए मदद कर देते हैं, जिससे मन को सुकून मिलता है। अमेरिका में सिस्टम व्यवस्थित होने के बावजूद लोगों के बीच दूरी अधिक होती है और आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया जाता है, जिससे इंसान को कई बार अकेले ही संघर्ष करना पड़ता है। चार्मी के अनुसार, भारत में समस्याएं अधिक हैं, लेकिन इसीकारण यहां किया गया छोटा काम भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने सरकारी स्कूलों के सिलेबस सुधारने के एक प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसका परिणाम आज बच्चों की पढ़ाई में दिखाई देता है। इससे उन्हें संतोष और जीवन में योगदान की भावना मिलती है। भारत में संघर्ष से मिलने वाली ताकत भी उन्हें प्रेरित करती है। यहां बचपन से ही मेहनत और धैर्य सिखाया जाता है। सिस्टम में खामियां और देरी होती हैं, लेकिन इससे परिस्थितियों के अनुसार ढलना और नए रास्ते खोजने की क्षमता विकसित होती है। चार्मी का मानना है कि सुविधाओं से भरा जीवन ही सब कुछ नहीं है। परिवार, समाज, योगदान और संघर्ष से मिली सीख भारत को उनके लिए विशेष बनाती है। आशीष दुबे / 30 दिसंबर 2025