दो बुजुर्ग मतदाताओं की मौत से जुड़ा है मामला -परिजनों का आरोप- गलत तरीके से भेजे नोटिस के कारण दोनों बुजुर्ग तनाव में थे कोलकाता,(ईएमएस)। पश्चिम बंगाल में एसआईआर अभियान चलाया गया। अब इसकी अंतिम प्रक्रिया चल रही है, जिन वोटर्स का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, वे एसआईआर को लेकर चल रही सुनवाई में पहुंचकर अपना पक्ष रख रहे हैं। इस दौरान दो बुजुर्गों की मौत से इस मामले ने नया मोड़ आ गया है। दोनों मृतक बुजुर्गों के परिजनों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज अग्रवाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मौत के लिए इन दोनों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल की सियासत में उबाल आ सकता है। पश्चिम बंगाल में एसआईआर से जुड़ी सुनवाई नोटिस मिलने के बाद दो बुजुर्ग मतदाताओं की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मृतकों के परिजनों ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। परिजनों का आरोप है कि गलत तरीके से भेजे गए नोटिस के कारण बुजुर्गों पर मानसिक दबाव पड़ा, जिससे उनकी जान चली गई। पुरुलिया जिले के 82 साल के मतदाता दुर्जन मांझी के बेटे कनाई मांझी ने बताया कि उनके पिता का नाम 2002 एसआईआर लिस्ट में दर्ज था, लेकिन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड 2002 की ऑनलाइन सूची में नाम नहीं दिखा। इसी वजह से उनके पिता को सुनवाई का नोटिस भेजा गया। कनाई के मुताबिक नोटिस मिलने के बाद उनके पिता काफी घबरा गए और तय सुनवाई से कुछ घंटे पहले चलती ट्रेन के आगे कूद गए, जिससे उनकी मौत हो गई। इसी तरह हावड़ा के 64 साल के जमात अली शेख की मौत का मामला भी सामने आया है। उनके बेटे का आरोप है कि उनके पिता वैलिड वोटर थे, फिर भी उन्हें सुनवाई का नोटिस भेजा गया। परिवार का आरोप है कि नोटिस के बाद वे मानसिक तनाव में आ गए और उसी दिन उनकी मौत हो गई। परिजनों ने सीईसी और सीईओ पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है। इस बीच चुनाव आयोग ने 27 दिसंबर को जारी अधिसूचना में कहा था कि ऐसे करीब 1.3 लाख मतदाता हैं, जिनके नाम 2002 की फिजिकल एसआईआर लिस्ट में हैं, लेकिन तकनीकी खामी के कारण ऑनलाइन डेटाबेस में नहीं दिख रहे हैं, उन्हें सुनवाई में उपस्थित होने की जरूरत नहीं होगी। आयोग ने इसे तकनीकी गड़बड़ी बताया था। मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि सीईसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती, क्योंकि कानून इस बारे में स्पष्ट है। अधिकारी ने यह भी कहा कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय किसी सीईओ को आपराधिक मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। यदि पुलिस इस तरह की एफआईआर दर्ज करती है तो उसके कानूनी परिणाम होंगे। उधर, मंगलवार को एक और दुखद घटना सामने आई। पूर्व मेदिनीपुर जिले में 75 साल के बिमल शी नामक बुजुर्ग, जिन्हें सुनवाई का नोटिस मिलने के बाद काफी तनाव में बताया जा रहा था, अपने घर में फंदे से लटके मिले। इस घटना ने मतदाता सूची से जुड़े नोटिसों और बुजुर्गों पर पड़ने वाले मानसिक प्रभाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लगातार सामने आ रही इन घटनाओं के बाद राज्य में चुनावी प्रक्रिया और प्रशासनिक संवेदनशीलता को लेकर बहस तेज हो गई है। सिराज/ईएमएस 31दिसंबर25 -----------------------------------