अंतर्राष्ट्रीय
30-Dec-2025
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ढाका,(ईएमएस)। बांग्लादेश की राजनीति का एक विशाल स्तंभ ढह गया है। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और तीन बार सत्ता की बागडोर संभालने वाली बेगम खालिदा जिया का मंगलवार, 30 दिसंबर 2025 की सुबह निधन हो गया। 80 वर्षीय खालिदा जिया लंबे समय से कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहीं थीं। ढाका के एवरकेयर अस्पताल में इलाज के दौरान सुबह करीब 6 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई और उनके समर्थकों की भारी भीड़ अस्पताल के बाहर जुटने लगी। खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को हुआ था। उनका राजनीतिक सफर किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं रहा। एक सेना अधिकारी की पत्नी और घरेलू महिला से देशमाता (देशेर माता) बनने तक का उनका सफर संघर्षों और चुनौतियों से भरा था। 1959 में जियाउर रहमान से विवाह के बाद वे एक साधारण जीवन जी रही थीं, लेकिन 1981 में राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। पति की मृत्यु के बाद बिखरती बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को संभालने के लिए वे राजनीति के मैदान में उतरीं और जल्द ही लोकतंत्र बहाली के आंदोलन का चेहरा बन गईं। खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच का दशकों पुराना राजनीतिक द्वंद्व दुनिया भर में बैटल ऑफ द बेगम्स के नाम से मशहूर रहा। 1991 में उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और बांग्लादेश में संसदीय लोकतंत्र की नींव मजबूत की। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आर्थिक सुधारों और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन विवादों से भी अछूता नहीं रहा। भ्रष्टाचार के आरोप, जेल की सजा और शेख हसीना सरकार के साथ उनका तीखा संघर्ष हमेशा चर्चा में रहा। 2018 में जेल जाने के बाद स्वास्थ्य कारणों से उन्हें घर में नजरबंद रखा गया था, लेकिन 2024 के राजनीतिक उलटफेर के बाद उन्हें पूर्ण रिहाई मिली थी। उनके निधन से ठीक पहले, उनके बड़े बेटे और बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद लंदन से स्वदेश लौटे। तारिक की वापसी ने पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी है। अब जबकि फरवरी 2026 में आम चुनाव होने वाले हैं, खालिदा जिया का जाना बीएनपी के लिए एक अपूरणीय क्षति है। समर्थकों का मानना है कि उन्होंने तानाशाही के खिलाफ लड़ाई लड़कर देश में लोकतंत्र को जीवित रखा।खालिदा जिया के निधन के साथ ही बांग्लादेश के इतिहास का वह अध्याय समाप्त हो गया है जिसने देश की तकदीर और तस्वीर को तीन दशकों तक प्रभावित किया। अब सबकी निगाहें तारिक रहमान पर टिकी हैं कि वे अपनी मां की विरासत और पार्टी की कमान को इस संकटपूर्ण समय में कैसे आगे ले जाते हैं। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जिसके बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। वीरेंद्र/ईएमएस/30दिसंबर2025