राष्ट्रीय
30-Dec-2025
...


82 साल पहले आज ही के दिन नेताजी सुभाष ने अंडमान में फहराया था तिरंगा, छीना था अंग्रेजों से ये द्वीप नई दिल्ली। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में 30 दिसंबर का दिन एक मील का पत्थर माना जाता है। आज से ठीक 82 वर्ष पहले, इसी तारीख को 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में पहली बार स्वतंत्र भारत का तिरंगा फहराया था। यह वह ऐतिहासिक पल था जिसने पूरे देश में यह विश्वास जगा दिया था कि ब्रिटिश हुकूमत के दिन अब गिनती के बचे हैं और आजादी बेहद करीब है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वैश्विक समीकरण तेजी से बदल रहे थे। साल 1942 में जापान ने इन द्वीपों को ब्रिटेन से जीतकर अपने कब्जे में ले लिया था। 29 दिसंबर 1943 को जब नेताजी पोर्ट ब्लेयर पहुंचे, तो जापान ने इन द्वीपों का नियंत्रण औपचारिक रूप से नेताजी की आजाद हिंद सरकार को सौंप दिया। अगले ही दिन, 30 दिसंबर को जिमखाना ग्राउंड पर एक भव्य समारोह के बीच नेताजी ने तिरंगा फहराया। उनके द्वारा फहराया गया यह ध्वज कांग्रेस द्वारा अपनाया गया वही तिरंगा था, जिसके बीच की सफेद पट्टी पर चरखा बना हुआ था। इस जीत के प्रतीक के रूप में नेताजी ने अंडमान का नाम शहीद द्वीप और निकोबार का नाम स्वराज द्वीप रखा। अपनी इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान नेताजी ने कुख्यात सेल्यूलर जेल का भी दौरा किया। यह वही स्थान था जिसे काला पानी कहा जाता था और जहाँ ब्रिटिश सरकार भारतीय क्रांतिकारियों को कठोर यातनाएं देती थी। सेल्यूलर जेल की 694 कोठरियों को इस तरह बनाया गया था कि बंदी एक-दूसरे से मिल न सकें। वहां पहुंचकर नेताजी ने उन महान बलिदानियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने देश की मिट्टी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। इसके बाद आजाद हिंद सरकार ने जनरल लोकनाथन को इन द्वीपों का गवर्नर नियुक्त किया। पोर्ट ब्लेयर से प्रस्थान कर जब नेताजी 1 जनवरी को सिंगापुर पहुंचे, तो उन्होंने अपने भाषण में हुंकार भरते हुए कहा था कि आजाद हिंद फौज भारत में क्रांति की वह ज्वाला जगाएगी, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य जलकर राख हो जाएगा। उन्होंने गर्व से बताया कि उनकी अंतरिम सरकार को जर्मनी और जापान सहित विश्व के 9 शक्तिशाली देशों ने मान्यता दे दी है। भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी इन द्वीपों का महत्व विशेष है। अंडमान शब्द मलय भाषा के हांदुमन से प्रेरित है, जो हिंदू देवता हनुमान का परिवर्तित रूप है, जबकि निकोबार का अर्थ नग्न लोगों की भूमि होता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय है और यह कुल 572 द्वीपों का समूह है। आज यहाँ के रास द्वीप को सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से जाना जाता है, जो 200 एकड़ में फैला है और अपनी ऐतिहासिक वास्तुकला व पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। 1947 में देश की आजादी के बाद यह क्षेत्र भारत का अभिन्न केंद्र शासित प्रदेश बना और आज भी नेताजी के उस साहस की याद दिलाता है जिसने विदेशी धरती से भारत की आजादी का बिगुल फूंका था। वीरेंद्र/ईएमएस/30दिसंबर2025