खेल
31-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में समय-समय पर ऐसे कई खिलाड़ी सामने आए, जिनकी शुरुआत बेहद शानदार रही और जिन्हें भविष्य का सुपरस्टार माना गया, लेकिन अनुशासन की कमी, गलत संगत और खेल के प्रति लापरवाह रवैये ने उनके करियर को समय से पहले खत्म कर दिया। जब आज इंटरनेट पर “बर्बाद क्रिकेटर” जैसे शब्द सर्च किए जाते हैं, तो सबसे ऊपर जो नाम उभरकर आता है, वह है सचिन तेंदुलकर के बचपन के साथी और कभी भारत के सबसे प्रतिभाशाली बल्लेबाजों में गिने जाने वाले विनोद कांबली का। ऐसा खिलाड़ी, जो रिकॉर्ड्स की लंबी कतार लगा सकता था, लेकिन नशे और अनुशासनहीनता के कारण खुद ही अपने करियर का दुश्मन बन बैठा। विनोद कांबली का नाम उन क्रिकेटरों में शुमार होता है, जिनकी प्रतिभा पर कभी किसी को शक नहीं रहा। स्कूल और जूनियर क्रिकेट में उन्होंने जो प्रदर्शन किया, वह आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखने से पहले ही कांबली और सचिन तेंदुलकर की जोड़ी ने हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में 664 रनों की ऐतिहासिक साझेदारी की थी। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 326 रन बनाए थे, जबकि विनोद कांबली 349 रन बनाकर नॉट आउट लौटे थे। इस रिकॉर्ड ने दोनों खिलाड़ियों को रातोंरात चर्चा का विषय बना दिया। बाएं हाथ के बल्लेबाज कांबली में गजब की तकनीक और आत्मविश्वास था, और कई विशेषज्ञ उन्हें उस दौर में सचिन से भी ज्यादा प्रतिभाशाली मानते थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कांबली ने अपने करियर की शुरुआत धमाकेदार अंदाज में की। भारत की ओर से खेले अपने पहले छह टेस्ट मैचों में ही उन्होंने चार शतक जड़ दिए, जिनमें दो दोहरे शतक शामिल थे। उन्होंने महज 21 साल और 32 दिन की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ 224 रनों की शानदार पारी खेलकर सबसे कम उम्र में डबल सेंचुरी बनाने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। इतना ही नहीं, केवल 14 टेस्ट पारियों में 1000 रन पूरे कर वह भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले बल्लेबाज बने। वह दुनिया के इकलौते ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्होंने अपने पहले चार टेस्ट मैचों में लगातार दो दोहरे शतक लगाए। इसके बावजूद, विनोद कांबली का करियर लंबा नहीं चल सका। जहां सचिन तेंदुलकर ने दो दशकों से अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर राज किया, वहीं कांबली का सफर बहुत जल्दी थम गया। शराब की लत, अनुशासनहीनता और फिटनेस पर ध्यान न देने जैसी आदतों ने उनकी चमकती हुई क्रिकेट यात्रा को अंधेरे में धकेल दिया। विनोद कांबली की कहानी आज भी क्रिकेट जगत में एक सबक के रूप में देखी जाती है कि सिर्फ प्रतिभा ही काफी नहीं होती, बल्कि उसे संभालने के लिए अनुशासन और समर्पण भी उतना ही जरूरी होता है। डेविड/ईएमएस 31 दिसंबर 2025