लेख
26-May-2023
...


देश का वर्तमान संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था, जिसके निर्माण में वर्ष 1921 से छह साल लगे थे। मूल रूप से काउंसिल हाउस कहे जाने वाले इस संसद भवन में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल हुआ करती थी।सन 1956 में संसद भवन में दो मंजिलों को जोड़कर विस्तारित गया। जबकि सन 2006 में, 2,500 वर्षों की इस लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय को भी इस भवन के साथ जोड़ा गया था।काउंसिल हाउस के लिए तैयार किए गए इमारत के ब्लूप्रिंट को वास्तुकारों हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस द्वारा संसद भवन को अंतिम रूप दिया गया। इस तरह का कोलोसियम डिजाइन मुरैना में चौसठ योगिनी मंदिर का है। इस संसद भवन में सांसदों के बैठने की जगह कम होने व पूर्ण लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के बाद जगह कम पड़ जाने से इसके विकल्प की तलाश होने लगी। सन 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन के आधार पर लोकसभा सीटों की संख्या 545 हो जाने और सन 2026 के बाद इसमें वृद्धि होने की संभावना के चलते नए संसद भवन की आवश्यकता महसूस की गई। क्योंकि मौजूदा संसद के सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों के कारण समस्या बढ़ जाती है। इसी कारण नया संसद भवन तैयार किया गया है।नए संसद भवन के नए परिसर में बड़े विधायी कक्ष बनाये गए है।राष्ट्रीय पक्षी मोर के आधार पर, नई लोकसभा में 888 सीटों पर बैठने की होगी।जो मौजूदा सीटों से तीन गुणा अधिक है। जबकि इस नए भवन में राज्य सभा के लिए 348 सीटें निर्धारित की गई है, जो लोटस थीम पर आधारित है।नए भवन के लोकसभा हॉल में संयुक्त सत्र के लिए 1,272 सीटों को समायोजित करने में सक्षम बनाया गया है। इस भवन में दो विधायी कक्षों के अलावा, एक संवैधानिक हॉल आकर्षण का केंद्र है। नई संसद का नया परिसर प्लैटिनम-रेटेड ग्रीन बिल्डिंग है। जो देश की विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई क्षेत्रीय कलाकृतियों की मेजबानी भी करता नज़र आता है।इसी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नई संसद का उद्घाटन कर रहे हैं। जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर है। लेकिन विपक्ष नाराज़ हैं,विपक्ष इस उद्घाटन को प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने का विरोध कर रहा है और चाहता है कि उदघाटन राष्ट्रपति द्वारा हो।हालांकि इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही 10 दिसंबर सन 2020 को रखी थी। 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्र के इस नए संसद भवन में तीन मुख्य गेट- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार हैं। इस भवन निर्माण कार्य के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त सन 2019 को अनुरोध किया था।उस समय इसकी लागत 861 करोड़ रुपये आंकी गई थी लेकिन बाद में इसके निर्माण की लागत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर 15 दल बीजेपी के समर्थन में हैं तो कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की है। संयुक्त विपक्ष की सोच है कि बीजेपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन न कराकर उनके पद का अपमान कर रही है।उदघाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है।जिसका अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है। (डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट) .../ 26 मई 2023