नई दिल्ली,(ईएमएस)। पाकिस्तान के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह 11 बजे अपने आवास पर एक अहम उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान तथा थल, जल और वायु सेना के प्रमुख मौजूद रहे। बैठक में देश की सुरक्षा स्थिति और सीमाओं पर मौजूदा हालात की समीक्षा की गई। यह बैठक उस समय हुई जबकि शनिवार को हुए सीजफायर के चंद घंटों बाद ही पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन की खबरें भी सामने आई थीं। शनिवार को सीमा पार से गोलाबारी की घटनाएं सामने आई थीं, हालांकि रात में स्थिति शांत रही। यह अहम बैठक पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनावपूर्ण शांति के बीच हुई, जिसके बीच फिलहाल संघर्ष विराम के उल्लंघन की कोई नई घटना सामने नहीं आई है। इससे पहले भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार के उल्लंघन का सख्त जवाब दिया जाएगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों की गतिविधियों को गंभीरता से लेते हुए, उन पर प्रभावी कार्रवाई की है। श्रीनगर, गुजरात और राजस्थान के बाड़मेर क्षेत्र में पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधियों के बाद सतर्कता और कड़ी कर दी गई है। कई सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्लैकआउट की स्थिति भी उत्पन्न हुई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार रात प्रेस वार्ता में बताया कि भारत ने पाकिस्तान से इन उल्लंघनों को रोकने की अपील की है और सख्त लहजे में कहा है कि सशस्त्र बलों को पूरी छूट दी गई है कि वे किसी भी प्रकार के अतिक्रमण या हमले का कड़ा जवाब दें। इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी संघर्ष विराम को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है और कहा है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और समृद्धि के पक्ष में है। हालांकि, भारत ने साफ किया है कि आतंकवाद और सीमा उल्लंघन के खिलाफ उसकी नीति स्पष्ट और अडिग है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को संघर्ष विराम की घोषणा सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए की थी। इसके साथ ही भारत सरकार की ओर से भी कहा गया कि भारत और पाकिस्तान ने गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बना ली है। इसी बीच, विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट किया था कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ दृढ़ और अडिग रुख बनाए रखेगा। अब यदि ऐसी स्थिति में भारत पर कोई भी किसी तरह का हमला होता है तो वह सहन करने लायक नहीं होगा और इसे युद्ध ही समझा जाएगा। हिदायत/ईएमएस 11मई25