लेख
08-Jun-2023
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इन दिनों अमेरिका भारत को लेकर बड़ा खेल खेल रहा है। भारत अमेरिका के लिए अति महत्वपूर्ण है। नाटो संगठन भारत को अपना केंद्र बिंदु बनाना चाहता है। भारत -प्रशांत क्षेत्र में नाटो संगठन का सहयोगी देश है। नाटो संगठन ने भारत को नाटो प्लस का दर्जा देने की जो पेशकश की है। यदि यह दर्जा भारत स्वीकार कर लेता है, तो यह अमेरिका के मकड़जाल में फंसने जैसा है। भारत को इस समय अमेरिका चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। इस साल मार्च माह में नाटो संगठन की जो बैठक हुई थी,उसमें भारत को अमेरिका के साथ सहभागिता बढ़ाने और चीन के साथ संबंधों को लेकर भी काफी विचार विमर्श हुआ था। भारत अपनी पुरानी विदेश नीति के कारण महाशक्तियों के जाल में फंसने से बचा रहा है। स्वतंत्रता के बाद से ही गुटनिरपेक्ष देश के रूप में भारत ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। राजनीतिक और सैन्य संबंधों को लेकर भारत कभी किसी के ऊपर आश्रित नहीं हुआ। जिसके कारण भारत सारे विवादों से दूर रहते हुए अपनी स्वतंत्र भूमिका बनाकर रख सका। नाटो के वर्तमान में 31 सदस्य देश हैं। अगर किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो नाटो संगठन इसे सामूहिक हमले के रूप में स्वीकार करता है। नाटो प्लस देशों को यह सुरक्षा कवच प्राप्त नहीं होता है। नाटो प्लस के सुरक्षा कवच मे नाटो संगठन संबंधित देश को खुफिया सूचनाएं हथियार और सैन्य सहयोग बढ़ाते हैं। अमेरिका और नाटो देशों के इस दबाव को भारत को स्वीकार नहीं करना चाहिए। इससे भारत को भारी दूरगामी नुकसान होगा। जो स्थिति आज पाकिस्तान और यूक्रेन की है। उससे भी ज्यादा खराब स्थिति भारत की हो सकती है। इस तथ्य को भारत सरकार को ध्यान में रखना होगा। यदि भारत ने नाटो प्लस का दर्जा स्वीकार किया। तो अन्य महाशक्तियों से भारत की दूरी बनना तय है। भारत एक उभरती हुई महाशक्ति बनने जा रहा है। भारत को सभी के साथ अपने संबंध इस तरह से रखना होंगे, कि सभी लोग भारत की निष्पक्ष और गुटनिरपेक्ष नीति के कारण भारत के ऊपर विश्वास रख सकें। तभी हमें इसका लाभ मिलेगा। पश्चिमी देश, चीन पर अंकुश लगाने के लिए भारत को एक साधन के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसके लिए भारत पर वह निरंतर अपना दबाव,तरह-तरह से बना रहे हैं। नाटो संगठन और अमेरिका अपने सहयोगी देशों का उपयोग कर उन्हें अकेला बीच मझधार में छोड़ देता है। पूर्व में हुए घटनाक्रमों से यह अच्छी तरीके से जाना जा सकता है। भारत यदि नाटो प्लस में शामिल होगा। तो भारत के अन्य देशों के साथ विशेष रुप से रूस -चीन जैसे देशों से दूरियां बनेगी। जो वर्तमान परिस्थितियों में सबसे घातक होंगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनायिक यात्रा पर अमेरिका जा रहे हैं। भारत अमेरिका से फाइटर जेट इंजन की तकनीकी साझा करने पर चर्चा कर रहा है। भारत अमेरिका से 30 ड्रोन खरीदने की योजना भी बना रहा है। 3 अरब डालर से ज्यादा का यह सौदा अमेरिका के साथ होगा। इस यात्रा के दौरान अमेरिका हर हालत में भारत को प्रभावित कर, नाटो प्लस का दर्जा स्वीकार करने का दबाव बनाने की कोशिश करेगा। भारत यदि अमेरिका के दबाव में आ गया, तो सारी दुनिया के देशों में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया,निश्चित रूप से होगी। अभी जो वर्तमान हालत बने हुए हैं। उसमें रूस और चीन के साथ भारत के संबंधों में तनाव बढ़ना तय है । नाटो प्लस देशों को नाटो संगठन में भारत को वह सुरक्षा भी प्राप्त नहीं होगी,जिस तरह की सुरक्षा हमें 1971 के युद्ध के समय रूस से सुरक्षा संधि करने के रूप में मिली थी। भारत और रूस संधि के कारण भारत-पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग करने में भारत सफल रहा। वरन अमेरिका के 7 वें बेड़े का मुकाबला करने में रूस के साथ की गई सुरक्षा संधि के कारण सफल हो पाया था। भारत का अमेरिका के साथ कभी भी सहयोगी का संबंध ना होकर,केवल व्यापारिक रिश्ते ही रहे हैं। अमेरिका भारत के साथ हमेशा प्रोफेशनल संबंधों को प्राथमिकता देता रहा है। पहले भी अमेरिका,पाकिस्तान और अन्य भारत विरोधी देशों की सहायता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करके भारत को आतंकी हमलों की साजिश का शिकार बनाता रहा है। अमेरिका अभी भी यही करता है, अमेरिका की यह फितरत हमेशा से रहिए और आगे भी बनी रहेगी। ऐसी स्थिति में भारत को नाटो प्लस का दर्जा किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करना चाहिए। नाटो प्लस का सदस्य बनते ही भारत का अमेरिका के सैन्य संगठन से जुड़ाव हो जाएगा। उसके बाद भारत की आंतरिक एवं बाहय स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी। अमेरिका और नाटो देशों का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। यह किसी भी किश्म से भारत के हित में नहीं होगा। नाटो महत्वपूर्ण देशों का ताकतवर संगठन है इसके साथ संवाद सतत बनाए रखना और समय-समय पर स्थितियों के अनुसार निर्णय लेने पर ही भारत के हित सुरक्षित होंगे भारत अपने आप को विश्व गुरु की भूमिका में स्थापित करने के प्रयास में लगा हुआ है भारत सनातनी परंपराओं के विचारों से ओतप्रोत होकर हमेशा शांति का पक्षधर रहा है वहीं नाटो संगठन अभी भी युद्ध की मानसिकता में फंसा हुआ है। जिसके कारण या तो हम उसके साथ होंगे, या उसके खिलाफ होंगे। ऐसी स्थिति भारत के लिए ठीक नहीं है। अमेरिका दौरे के समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष सतर्कता बरतनी होगी। नाटो प्लस का दर्जा भारत को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करना चाहिए। एसजे / 8 जून 2023