मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव: भाजपा ने दिग्गजों को उतारा मैदान में (महेश दीक्षित) भोपाल, (ईएमएस)। मोदी-शाह ने विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में राजनीतिक रूप से शक्तिमान माने जाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते सहित सात सांसदों का दांव खेला है। दावा है कि मोदी-शाह के इस दांव से कांग्रेस को चुनाव में आसानी मात दी जा सकेगी। मध्यप्रदेश में भाजपा की एकतरफा जीत सुनिश्चित हो सकेगी। इसके उलट राजनीतिक विज्ञानियों का कहना है कि मोदी-शाह के इस दांव के दूसरे निहितार्थ भी हो सकते हैं। जिसमें मकसद, विधानसभा चुनाव की परीक्षा के जरिए मध्यप्रदेश में इन दिग्गजों के राजनीतिक वर्चस्व को कमजोर करना भी हो सकता है। - मोदी-शाह दांव से यह होगा फायदा जिन 79 सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें से 76 भाजपा की हारी हुई सीटें हैं यानी कांग्रेस काबिज सीटें हैं। यदि भाजपा इनमें से 20-30 सीटें भी जीत लेती है, तो यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। -नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल, कैलाश विजयवर्गीय मालवा-निमाड़, प्रहलाद सिंह पटेल एवं फग्गन सिंह कुलस्ते महाकौशल और गणेश सिंह एवं रीति पाठक विंध्य क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं। इन दिग्गजों के चुनाव लडऩे से आसपास की विधानसभा सीटों पर भी प्रभाव पड़ेगा। ये सभी दिग्गज भावी सीएम चेहरा भी हैं। इन दिग्गजों के मैदान में उतरने से प्रदेश में एंटी इनकबेंसी बेअसर होगी। पार्टी में किसी भी तरह के भीतरघात और डैमेज को कंट्रोल किया जा सकेगा। -मोदी-शाह दांव के हो सकते हैं निहितार्थ -मोदी-शाह को यह भान हो गया है कि, इस बार मध्यप्रदेश का रण बेहद मुश्किल है। जीत का गणित बिगड़ सकता है। इसलिए उन्होंने दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने का दांव खेला है। -मप्र में शिवराज सिंह चौहान के विकल्प के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते सीएम के दावेदार माने जाते रहे हैं। जब भी सीएम चेहरे में बदलाव की चर्चा होती है, तो इन दिग्गजों की वजह से मोदी-शाह उलझन अनुभव करते रहे हैं। इसलिए इनको विधानसभा चुनाव लड़ाना मोदी-शाह की सोची समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कहने का मतलब है इनमें से जो जीतेगा, वो सिकंदर होगा। भाजपा की सरकार बनने पर वो सीएम पद का असली हकदार होगा। -यदि ये दिग्गज चुनाव मैदान में हार जाते हैं, तो मध्यप्रदेश में इनका राजनीतिक वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। इसके बाद मोदी-शाह मध्यप्रदेश के संदर्भ में निद्र्वंद हो जाएंगे। इसके साथ भाजपा सरकार बनने की स्थिति में मध्यप्रदेश के नए सीएम चेहरे को लेकर निष्कंटक हो सकेंगे। फिर वे जिसको चाहें सीएम बनाएं, मर्जी उनकी चलेगी।