लेख
28-Nov-2023
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- अरबों रुपए के भ्रष्टाचार की गंगोत्री उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन से मजदूर जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे हैं। इन 41 मजदूरों का जीवन संकट में फंसा रहा है। 17 दिन से बचाव और राहत कार्य युद्ध स्तर पर चलाया गया है। मौसम विभाग ने 24 घंटे के अंदर बारिश और ओले पड़ने की संभावना जताई, जिस कारण मजदूरों को निकालने के प्रयास में बाधा आने की आशंका भी जाहिर की गई। सरकार इस घटना को एक इवेंट की तरह देख रही है। गोदी मीडिया के सारे चैनल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और मतदान के दौरान जिस तरह से इस बचाव कार्य को दिखा रहे हैं उसमें मतदान को प्रभावित करने के लिए इवेंट के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार चुनाव जीतने के लिए क्या इस तरीके के इवेंट कर सकती है? क्या भ्रष्टाचार का यह स्वरूप हो सकता है? यदि इसके स्वरूप को जानने की कोशिश करें तो हर आदमी का दिल दहल जाएगा। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति न लेना पड़े, इसके लिए सबसे बड़ा पहला अपराध केंद्र सरकार की ओर से किया गया है। इतनी बड़ी परियोजना के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी ना लेना पड़े इसके लिए प्रोजेक्ट को 53 हिस्सों में बांट दिया। ऐसा करने से पर्यावरण की अनुमति और सर्वेक्षण की जरूरत नहीं रही। इसके बाद संवेदनशील हिमालय क्षेत्र के 53 प्रोजेक्ट जिन्हें काम का अनुभव नहीं है, ठेके पर दिए गए। ठेकेदार वहां पर काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सब लेट करके कई ठेकेदार खड़े कर दिए हैं। मोटा मुनाफा बिना काम किये ठेकेदार खा रहे हैं। जिन कंपनियों ने ठेके लिए हैं वो कम पैसे में प्रोजेक्ट को पूरा कर रहे हैं। अर्थात सरकार भुगतान ज्यादा कर रही है, लेकिन ठेकेदार को बहुत कम पैसा मिल रहा है। जिसके कारण परियोजना में लापरवाही के साथ घटिया काम किया जा रहा है। जिस परियोजना में 41 मजदूर फंसे हुए हैं, उसको नवयुग कंस्ट्रक्शन कंपनी उप ठेकदार के रूप में कर रही है। सुरंग बनाने के लिए जो सुरक्षा के इंतजाम किए जाने थे, वह इस कंपनी द्वारा नहीं किए गए। जगह-जगह पर हृयुम पाइप लगाए जाते हैं, ताकि उनसे गैस मलमा निकल सके। आपातकालीन परिस्थितियों में उनके माध्यम से बचाव कार्य किया जा सके। हर तीन किलोमीटर की दूरी पर एग्जैक्ट बनाए जाते हैं। जहां से सुरंग में सुरक्षा की दृष्टि से यदि बचाव कार्य की आवश्यकता होती है, तो वह किया जा सके। जो यहां पर नहीं बनाए गए। सब लेट में काम लेकर जो कंपनियां काम करती हैं, वह मुनाफा कमाने के लिए और कम राशि में प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इस तरह की लापरवाही करने के लिए मजबूर होते हैं। जहां पर यह हादसा हुआ है, वहां 15 दिन पहले से ही ऊपर से मलमा गिरना शुरू हो गया था। मजदूरों ने इसकी शिकायत कंपनी से की थी। कंपनी के इंजीनियरों ने जुगाड़ तकनीकी का सहारा लेकर गार्डर का टेका लगाकर मलमा गिरने से रोकने का काम किया था। यह जुगाड़ कामयाब नहीं रहा, पहाड़ का मलमा भर-भराकर सुरंग के अंदर भर गया। जिसके कारण मजदूर सुरंग में फंसकर रह गए। इस परियोजना में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोई काम ही नहीं किया गया है। पर्यावरण विशेषज्ञ अतुल सती के अनुसार चार धाम यात्रा के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किए गया हैं, उसमें आपराधिक कृत्य सरकार से लेकर ठेकेदार कंपनी और सब ठेका लेने वाली कंपनियों द्वारा सतत किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए कोई सर्वे नहीं कराया गया। भौगोलिक और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षा के उपाय किए जाने चाहिए थे, वह उपाय यहां पर नहीं किए गए। जियोलॉजिकल फिजिकल सर्वे भी नहीं किया गया। सुरक्षा के लिए सब्लेट कंपनियों के पास कोई राशि उपलब्ध नहीं है। जो सुरक्षा के इंतजाम पहले होने चाहिए थे, वह अब मजदूरों को निकालने के लिए किये जा रहे हैं। यह बहुत बड़ा अपराधिक कृत्य है। जिसमें सभी की भूमिका हैं। इस ठेके का काम नवयुग कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। यह कंपनी बड़े-बड़े ठेकों में सब लेट ठेकेदार के रूप में काम करती है। अगस्त महीने में पुणे के एक प्रोजेक्ट में इसी तरह से मजदूर हादसे का शिकार होकर मौत के मुंह में चले गए थे। इस कंपनी के हादसों और मजदूरों की मौत का रिकॉर्ड बना हुआ है। कम पैसे में ठेके लेकर यह सुरक्षा उपायों पर कोई ध्यान नहीं देती है, जिसका खामियाजा मजदूरों को जान-माल देकर चुकाना पड़ता है। राजनीतिक गठजोड़ के चलते बड़े-बड़े ठेके बड़े-बड़े नामी गिरामी कंपनियां लेती हैं। उन ठेकों से भारी मुनाफा काटकर सब लेट कर देती हैं। सब लेट कंपनी को कम पैसा मिलता है। जिसके कारण सुरक्षा उपाय और क्वालिटी दोनों में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही देखने को मिलती है। उत्तराखंड के इस चार धाम प्रोजेक्ट का काला सच देश के सामने हैं। राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट की तर्ज पर जिस तरह से उत्तराखंड में हजारों जिंदगियों को दांव पर लगाया गया है। यह कृत्य ना भूतों ना भविष्यति की तरह है। शिव शंभू के नाम पर इतना बड़ा भ्रष्टाचार उनके ही भक्त करेंगे, यह सोचकर ही मन खिन्न हो जाता है। ईएमएस / 28 नवम्बर 23