लेख
01-Mar-2024
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| भारत तेजी से बदल रहा है । अब यहां एकनजर वाली सरकार अपना रंग दिखा रही है । अब देश में चाहे अकबर हों या शाजहाँ बचने वाले नहीं है। भले ही अकबर और शाहजहां को जहान से गए हुए सैकड़ों साल हो गए हैं लेकिन उनके नाम से हमारी सरकार आज भी नफरत करती है ,बिदकती है । अब इस देश में रहने वाले तमाम अकबरों और शाहजहानों को केवल और केवल इस देश की अदालतों का सहारा है जो अभी भी आम आदमी को आम आदमी मानती हैं ,उन्हें धर्म की नजर से नहीं देखतीं। मेरी बात समझने के लिए आपको एक साथ अनेक खबरों को जोड़कर देखना होगा । पहली खबर डबल इंजन से चलने वाले उत्तर प्रदेश से बनती है । आपको पता है कि उत्तर प्रदेश में बुलडोजर संस्कृति है । यूपी की सरकार को अकबर के नाम से ही चिढ है । दुर्भाग्य से लखनऊ के कुकरैल नदी के किनारे बसी एक अवैध बस्ती का नाम अकबरनगर है। यहां 1068 से ज्यादा अवैध मकान और 50 से अधिक दुकानें बनी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इस कुकरैल नदी पर रिवरफ्रंट बनाना चाहती है। जाहिर है कि इसके लिए अकबर नगर को नेस्तनाबूद करना जरूरी है। सरकार की उदारता के चलते अकबर नगर में रहने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए सभी को 15 लाख रुपये की कीमत वाला मकान 4.80 लाख में दिया जा रहा है। लेकिन अकबर नगर वाले यहां से जाना नहीं चाहते। फिर भी लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम ने अकबरनगर में 23 बुलडोजर लगाकर दो बड़े कॉम्प्लेक्स-शोरूम ढहा दिए। इससे पहले अकबरनगर की अवैध बस्ती को गिराने की कार्रवाई दिसंबर महीने में हुई थी। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाते हुए बस्ती के लोगों को राहत दे दी थी। यहां लखनऊ के अकबर नगर में एलडीए की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एलडीए से 4 मार्च तक कार्रवाई न करने को कहा है । सुप्रीम कोर्ट 4 मार्च को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के कुछ ही देर बाद एलडीए ने अपनी कार्रवाई को शुरू कर दिया है ,अब यही यदि अकबर नगर न होकर रामकृष्ण नगर या दीनदयाल नगर होता तो बुलडोजर इनकी और देखते तक नहीं। दूसरी खबर है उत्तर प्रदेश के ही हापुड़ में रहने वाले अब्दुल करीम टुंडा की। अब्दुल क्रीम एक जमाने में पिलखुवा में बढ़ई का काम करता था। मुंबई में 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (81 वर्षीय) को गुरुवार, 29 फरवरी को अजमेर की विशेष टाडा अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। मामले के दो अन्य आरोपियों इरफान अहमद और हमीर-उल-उद्दीन उर्फ हमीदुद्दीन को टाडा कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। सीबीआई अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रही। बंगाल के सन्देश खाली उत्पीड़न के खलनायक शाहजहां खान को भी फिलहाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ह। भाजपा पिछले कई दिनों से इसी शाहजहां खान की गिरफ्तारी को लेकर राजनीति कर रही थी। हकीकत भी है और अफ़साना भी की शाहजहां हों या अकबर हमेशा भाजपा की राजनीति के स्थाई पात्र रहते हैं। संयोग कहें या दुर्भाग्य की देवभूमि उत्तराखंड में जहाँ डबल इंजिन की सरकार है वहां भी हल्द्वानी हिंसा के आरोप अकबर और शाहजहां के भाई बंधु हैं। हल्द्वानी हिंसा के कथित सूत्रधार अब्दुल मलिक है। वहां सरकार सो रही थी और मलिक भाई नोटरी पर सरकारी जमीनें बेच रहे थे वो भी भाजपा नेताओं के संरक्षण में। लेकिन दुर्भाग्य से जब हिंसा भड़की तो अब्दुल मलिक को भाजपा के नेताओं ने अनाथ छोड़ दिया ,हालाँकि उनके साथ सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द करने से होने वाले लाभ में सभी बराबर के हिस्सेदार रहे। उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी का मामला भी अकबर और शाहजहां के कुनबे से ही बाबस्ता है। मुझे कभी -कभी लगता है कि हमारी एकनजर वाली सरकार अकबर और शाहजहां की 20 करोड़ आबादी का आखिर करेगी क्या ? सरकारी पार्टी ने अपने यहां तो विधानसभा हो या लोकसभा या राजयसभा इन लोगों को मौक़ा न देने का इरादा जाहिर कर ही दिया है। लगता है कि सरकार को इस 20 करोड़ की आबादी से अब कोई लेना-देना नहीं है। यदि होता तो एकनजर की सरकार जानबूझकर समान नागरिक संहिता लाने और स्पेशल मैरिज एक्ट को रद्द करने का उत्साह न दिखाती। यदि वाकई समदर्शी सरकार होती तो राम मंदिर जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद सरकार अयोध्या में जितना भव्य राम मंदिर बनाने में सक्रिय रही उतनी ही वहां नई मस्जिद बनवाने में भी सक्रिय भूमिका निभाती। लेकिन ये असम्भव था और है। सरकार को अकबरी वोट नहीं चाहिए । सरकार को तीसरी बार सरकार बनाने के लिए जितने नान अकबरी वोट चाहिए वो उसके पास हैं। उसका काम तो चल ही जाएगा। मजे की बात देखिये कि दो दशक तक न्याय का इन्तजार करने के बाद बरी हुए टुंडा के मन में कोई नफरत नहीं है ,कोर्ट के फैसला आने के बाद अब्दुल करीम टुंडा ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा, कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया है, कोर्ट की बहुत मेहरबानी. सच्चाईछुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से, खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से...। आपको बता दें कि पांच व 6 दिसंबर, 1993 को मुंबई से नई दिल्ली, नई दिल्ली से हावड़ा, हावड़ा से नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, सूरत से बड़ौदा फ्लाइंग क्वीन एक्सप्रेस, हैदराबाद से नई दिल्ली आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे. इस आतंकी बम धमाकों में दो यात्रियों की मृत्यु हुई थी। भाजपा के झांसे में आकर अकबर और शाहजहां के तमाम वंशज ,जैसे कांग्रेस के एक गुलाम नबी आजाद कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली ,लेकिन अब न वे घर के हैं और न घाट के। भाजपा में जो शाहनवाज रह भी गए हैं वे मजबूरी में हैं। उनके जैसे कितने लोग हैं जिनका भाजपा में अब कोई नामलेवा नहीं हैं और जो हैं वे भी मजबूर है। यदि समर्थन नहीं करेंगे तो वे भी घर के न घाट के रह पायंगे। भाजपा इन सबसे घर और घाट छीन लेने पर आमादा है। आने वाले दिनों में अकबरों और शाहजहानों से जुड़े ऐसे अनेक मामले सामने आएंगे । इन सब से देश का मान बढ़ेगा या घटेगा ये हम नहीं जानते ,लेकिन ये साफ़ है की हम जान-बूझकर उन लोगों को दण्डित कर रहे हैं जो न अकबर हैं ,न बाबर हैं और न शाहजहां है । यदि वे अपराधी हैं तो अपराधी तो हर समाज में है। चंद शाहजहानों या मलिकों की वजह से पूरी की पूरी 20 करोड़ की आबादी को तो अपराधी मानकर उनके साथ अपराधियों या दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता ? यदि आप समान नागरिक संहिता ला रहे हैं तो उन्हें विधानसभाओं,लोकसभा और राजयसभा में भेजने से इंकार क्यों कर रहें हैं मिया ! आम चुनावों में उतरने से पहले इन सवालों का जबाब देने की हिम्मत भी दिखाई जाना चाहिए की नहीं भाईओ-बहनो !