राज्य
28-Mar-2024


- न्यायालय में पेश नहीं हो रहे आरोपित नेता-विधायक, कोई चुनाव लडऩे तो कोई लड़वाने की तैयारी में व्यस्त भोपाल (ईएमएस)। आचार संहिता लगते ही राजनीतिक गलियारों में चहल पहल दिखाई देने लगती है। कोई चुनाव लडऩे की तैयारी में होता है तो कोई लड़वाने की, राजनीति में दखल रखने वाले नेता सब काम भूल गए हैं। साथ ही भूल गए हैं जिला न्यायालय में उनके विरुद्ध चल रहे वह मामले, जिनमें उन्हें हर पेशी पर बुलाया तो जाता है लेकिन कोई न कोई बहाना लगाकर वह टाल देते हैं। इस पर कई बार कोर्ट ने सख्त रवैया भी अपनाया है, नाराजगी भी जताई है। कई बार संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक तक को लताड़ा जा चुका है लेकिन बावजूद इसके कोई भी आरोपित नेता कोर्ट में पेश नहीं हो रहा है। हालात यह है कि कई मामलों में तो हाई कोर्ट से स्टे के आदेश हो चुके हैं और जो मामले कोर्ट में चल भी रहे हैं उन्हें नेताओं का ये गैरजिम्मेदाराना रवैया समय पर निपटने नहीं दे रहा है। प्रधानमंत्री के खिलाफ बयान देने वाले भी कोर्ट नहीं आते पूर्व मंत्री राजा पटेरिया पर देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में एमपीएमएलए कोर्ट में केस चल रहा है। इस मामले की बीती सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन्हें बुलाया था लेकिन राजा पटेरिया कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं। आरोप की बात करें तो 12 दिसंबर 2022 को जिला पन्ना के पवई में एक सभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए राजा पटेरिया ने देश के प्रधानमंत्री को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने अपने बयानों में संविधान बचाने के लिए मोदी की हत्या करने को तैयार रहने का जिक्र किया। नाराजगी जताता है कोर्ट जिला अदालत के एमपी-एमएलए कोर्ट में विधायक बाबू जंडैल के खिलाफ चल रही बिजली कंपनी की शिकायत, जिसमें उन्होंने अवैध तरीके से खंभे पर चढक़र लाइट जोड़ दी थी, जब अधिकारियों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने अधिकारियों को भी धमकाया था। इस मामले में विधायक कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने कई बार उन्हें बुलाया है लेकिन वह पेश नहीं हुए। कोर्ट ने श्योपुर पुलिस पर नाराजगी भी जाहिर की है। यहां तक कि श्योपुर एसपी आदेश की तामील करवाने की बात कही है। सुनवाई में लगा देते हैं आवेदन विधायक बाबू जंडेल पर महिला सब इंस्पेक्टर को फोन पर गाली देने के आरोप में चल रहे मामले में विधायक कोर्ट में पेश में होने में कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। सुनवाई में उनकी ओर से कोई न कोई आवेदन लग जाता है और समय बढ़ जाता है। आरोप इन पर यह है कि पुलिस द्वारा चेकिंग के दौरान एक व्यक्ति की बाइक पकड़ ली गई थी। उसे छुड़वाने के लिए विधायक ने महिला एसआई से फोन पर बात की थी। बातचीत के दौरान उससे गाली गलौच कर दी। इसके बाद अजाक पुलिस थाने में विधायक के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज हुआ। पड़ते हैं विपरीत प्रभाव इस बारे में अधिवक्ता प्रभात शर्मा से बात करने पर पता चलता है कि सुनवाई में आरोपित के पेश न होने पर सबसे बड़ा नुकसान कोर्ट के समय की बर्बादी होता है। जो मामला कुछ सुनवाइयों में निपट सकता है वह फिजूल में ही कई वर्षों तक लंबित रहता है। उस बीच में कोई ऊपरी अदालत से स्टे आर्डर ले आए तो फिर मामला लंबे समय के लिए अटक जाता है। इससे न्यायालय की प्रक्रिया प्रभावित होती है। विनोद / 28 मार्च 24