ज़रा हटके
15-Apr-2024
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-उम्र बढ़ने पर सिकुड़ने लगती है कोशिकाएं वाशिंगटन (ईएमएस)। डेली रूटीन के कई काम ऐसे सवाल उठा सकते हैं कि क्या आपकी याददाश्त सामान्य है या फिर इसमें गिरावट आ रही है।ऐसी कंडीशन में हमारी पहली सोच यह हो सकती है कि यह हमारे दिमाग में कमी के कारण है। हमारे शरीर के बाकी हिस्सों की तरह मस्तिष्क की कोशिकाओं पर भी उम्र का असर पड़ता है और उम्र बढ़ने पर वे सिकुड़ने लगती है। कोशिकाएं अन्य न्यूरॉन्स के साथ कम संबंध बनाए रख पाती हैं और अन्य न्यूरॉन्स को संदेश भेजने के लिए आवश्यक रसायनों को भी कम स्टोर कर पाती हैं। लेकिन यहां आपको ध्यान रखना होगा कि सभी मेमोरी लैप्स के मामले उम्र में बदलाव से संबंधित नहीं होते। कई बार थकावट, चिंता या फिर घबराहट की वजह से भी स्मृति भ्रम हो जाता है। अगर हम कभी कभी कुछ काम या फिर कुछ बातें भूल जाते हैं तो यह सामान्य बात है इसमें किसी तरह का कोई दोष नही है। कई बार हमारे दिमाग में बातों का इतना ढेर हो जाता है कि वह दूसरी यादों को बनाए रखने में धीमा हो जाता है। कई बार दिमाग के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है कि वह यह तय नहीं कर पाता कि किस बात को ऊपर रखना है। सामान्य तौर पर, हमारा मस्तिष्क सामाजिक जानकारी को प्राथमिकता देता है, लेकिन अमूर्त जानकारी जैसे संख्याओं से रिलेटेट इंफॉर्मेशन को आसानी से छोड़ देता है। मेमोरी लॉस तब एक प्रॉब्लम हो जाती है जब यह आपके डेली रूटीन पर असर डालने लगती है। यदि आपको दाएँ या बाएँ मुड़ना याद नहीं है तो यह कोई बड़ी दिक्कत वाली बात नहीं है लेकिन, यदि आपको यह याद नहीं कि आप गाड़ी क्यों चला रहे हैं और आप कहां जा रहे हैं तो यह सामान्य नहीं है। इस पर आपको सोचने की जरूरत है।उम्र बढ़ने से संबंधित मेमोरी और सामान्य मेमोरी लॉस के बीच एक हल्का अंतर होता है जिसे समझना जरूरी है। यह अंतर स्थिर रह सकता है या फिर स्थिति और गंभीर हो सकती है। यह डिमेंशिया जैसे न्यूरोजेनरेटिव रोग के जोखिम का बढ़ा देता है। हर साल मेमोरी लॉस के 10-15 प्रतिशत लोग डिमेंशिया के शिकार पाए जाते हैं। हल्की कॉग्नेटिव मेमोरी लॉस वाले लोगों में सामान्य गतिविधि में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है। नेविगेशन में कमी को अल्ज़ाइमर रोग का एक बड़ा शुरुआती संकेत माना जाता है, जो डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। इसलिए यदि आप कुछ भूल रहे हैं तो इस पर अपने हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं। बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए मेडिकल परीक्षण करवाना जरूरी है। स्मृति लॉस के ठीक कारणों का अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है और एक सबसे बड़ी चुनौती है यह कि ऐसा परीक्षण विकसित करना जो सटीक हो और जिसकी लागत कम हो और जो करना आसान हो। एक्सपर्ट की मानें तो कुछ ऐसे तरीके विकसित हुए हैं जिसमें पांच मिनट का परीक्षण है जिसमें रास्ता खोजने की क्षमता के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में दृश्य स्मृति का उपयोग किया जाता है। जबकि रोज़मर्रा की याददाश्त में कमी ऐसी घटना नहीं है जिसके बारे में हमें अनावश्यक रूप से चिंता करनी चाहिए, लेकिन जब स्मृति लोप की घटनाएं बार बार आपके जीवन को प्रभावित कर रही हों तो हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। मालूम हो कि हमारी बढ़ती उम्र का हमारे शरीर और हमारे व्यवहार पर बड़ा असर पड़ता है। उम्र का बदलाव का असर हमारी सोच और याददाश्त पर भी पड़ता है। बढ़ती उम्र में कई बार ऐसा होता है कि आप पिछले पांच वर्षों से एक ही रास्ते से घर से काम पर और काम से घर पर आ रहे होते हैं लेकिन, लेकिन हाल ही में, एक दिन अचानक आप अपने रास्ते के एक चौराहे पर रुक जाते हैं और सोचने लगते हैं कि आपको किस तरफ जाना है। सुदामा/ईएमएस 15 अप्रैल 2024