राज्य
17-Apr-2024
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-प्रत्याशी को परदे के पीछे रख मोदी और राम का सहारा -मुख्यमंत्री मोहन यादव चौथी बार पहुंचे बालाघाट बालाघाट (ईएमएस)। भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत झोंकी है उससे दो बातें स्पष्ट हो जाती है कि उनका प्रत्याशी बेहद कमजोर साबित हुआ है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को लोकसभा क्षेत्र मेें चार बार आना पड़ा। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन रामपायली पहुंचकर मोहन यादव ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार किया। भाजपा के द्वारा इस तरह से बालाघाट में ताकत झोंके जाने को लेकर अब ये कहा जाने लगा है कि भाजपा ने उम्मीदवार चयन में शायद गलती की है। अपेक्षा से विपरीत उसकी प्रत्याशी कमजोर साबित हुई है। भाजपा कार्यकर्ताओं में और न ही जनता के बीच में कोई उत्साह जगा पाने में भाजपा उम्मीदवार सफल होती दिखी है। बुधवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो गया अब जनता की बारी है परंतु यह कहा जा सकता है कि भाजपा ने अभी तक सबसे कमजोर चुनाव इस बार लड़ा है। भाजपा प्रत्याशी की कमजोरी को ढकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी बालाघाट आना पड़ा परंतु इसके बाद जब मैदान में भाजपा की हवा नहीं बन पाई तो मुख्यमंत्री को कमर कसकर मैदान में उतरना पड़ा और चुनाव प्रचार के अंतिम दिन में वे बालाघाट में प्रचार करने आए। हंालाकि भाजपा इसे एक रणनीति के तहत मुख्यमंत्री की सभा रामपायली में आयोजित की थी चूंकि दिन रामनवमी का था इसलिए भाजपा को लगा कि इस दिन के लिए रामपायली को चुनकर पूरे लोकसभा क्षेत्र में एक वातावरण बनाया जा सके। भाजपा इसमें कितनी सफल हुई ये तो अभी नहीं कहा जा सकता परंतु इतिहास में पहली बार भाजपा इतने कमजोर तरीके से मैदान में नजर आई है। अब जनता की बारी चुनाव प्रचार समाप्त हो चुका है और अब लोकसभा के लिए कल यानी शुक्रवार को मतदान होना है जहां तक जनता का सवाल है इस बार के लोकसभा चुनाव में कहीं भी भाजपा के कार्यकर्ता में न उत्साह है और न ही मतदाताओं में मतदान के प्रति कोई रूचि दिखाई दे रही है। कैडर बेस समझी जाने वाली भाजपा का कार्यकर्ता क्या लोगों को घरों से निकालकर मतदान केन्द्रों तक ले जाने में सफल होगी इसमें भी इस बार संशय है। बालाघाट लोकसभा क्षेत्र में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को परदे के पीछे रखकर मोदी और राम के सहारे चुनाव लड़ा गया। इस बार मोदी मैजिक भी कहीं दिखाई नहीं दिया ऐसे में जनता क्या निर्णय लेती है देखना होगा। पूरे चुनाव प्रचार पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को लेकर कहीं भी उत्साह नहीं देखा गया। आज भी पूरे लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी की पहचान नहीं है। अप्रत्याशित तौर पर इस बार कोई लहर भी दिखाई नहीं दे रही है और जब ये वातावरण निर्मित होता है तो चुनाव प्रत्याशी के इर्द-गिर्द आकर सिमत जाता है और दुर्भाग्यवश इस बार भाजपा की उम्मीदवार न लोकप्रिय है और न अच्छी वक्ता है और जनता पर भी प्रभाव डालने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। अब ऐसे में जनता क्या करेगी ये विचारणीय प्रश्न है। इस बार नहीं दिखा शर्तांे का दौर आम तौर पर हर लोकसभा चुनाव से पहले माहौल इस तरह से बन जाता है कि राजनैतिक कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव परिणाम को लेकर दावों प्रतिदावों का दौर शुरू हो जाता है इस बार का चुनाव इतना ठंडा है कि कोई भी किसी उम्मीदवार को लेकर जीत हार की बात नहीं कह रहा है। कुलमिलाकर पहली बार केन्द्र और राज्य में सत्तारूढ़ होते हुए भी भाजपा ने अपनी ओर से पूरी ताकत झोंकी परंतु कहीं न कहीं कमजोर प्रत्याशी होने के चलते कार्यकर्ताओं में जोश भरने में वे पूरी तरह से विफल होती नजर आई। पार्टी के नेता अब ये कह रहे हैं कि हमारे प्रत्याशी की नैय्या मोदी जी ही पार लगाएंगे। उनका ये भी कहना है कि उन्होंने पहले ये भी नहीं सोचा था कि हमारी प्रत्याशी इतनी कमजोर साबित होगी। अब जो भी रणनीति अपनानी थी वो सभी रणनीति भाजपा ने अपना ली है अब जनता की बारी है मुद्दा विहीन, लहर विहीन हो रहे इस चुनाव में जनता किस करवट बैठती है यह तो चुनाव परिणाम से ही पता चल सकेगा। बहरहाल भाजपा ने अपने कमजोर प्रत्याशी को टेका लगाने के लिए अंतिम समय तक भरसक प्रयास किया और चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मुख्यमंत्री को बुलाकर चुनाव संभालने का प्रयास किया।