लेख
25-Apr-2024
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भारतीय जनता पार्टी ने 80-20 का जो नारा दिया था, अर्थात भारत में 80 फ़ीसदी आबादी हिंदू है और 20 फ़ीसदी आबादी में मुस्लिम और अल्पसंख्यक वर्ग आता है। भारतीय जनता पार्टी ने बहुसंख्यक आबादी को अपने पक्ष में करके लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने के लिए गुजरात के बाद अन्य राज्यों के लिए जो रणनीति बनाई थी, उत्तर भारत के राज्यों में भाजपा की यह रणनीति काफी सफल रही। पिछले 10 साल में उत्तर भारत के सभी राज्यों में डबल और ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में भाजपा को सफलता मिली। केंद्र, राज्य और स्थानीय संस्थाओं पर भाजपा ने चुनाव जीतकर, सत्ता पर एकाधिकार बनाया। 80-20 की तोड़ इस चुनाव में कांग्रेस ने निकाली है। कांग्रेस ने 90-10 का जो फार्मूला तैयार किया है। उसके बाद से भाजपा का 80-20 का गढ़ दरकता हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस ने सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से सामाजिक न्याय के नाम से 90 फ़ीसदी लोगों के लिए घोषणा पत्र तैयार किया है। पिछले 10 वर्ष में भारत में पूंजीवाद बड़ी तेजी के साथ बढ़ा है। अमीर और अमीर होते चले गए, गरीब और गरीब होता चला गया। 45 फ़ीसदी संपत्ति एक फ़ीसदी लोगों के पास पहुंच गई है। बाकी 9 फ़ीसदी अति धनाड्य और धनाड्य हो सकते हैं। 90 फ़ीसदी भारत की आबादी आर्थिक एवं सामाजिक रूप से बहुत कमजोर है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इन्हीं 90 फ़ीसदी लोगों के लिए जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोकसभा चुनाव 2024 में प्रवेश किया है। 90 फ़ीसदी लोगों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति, जाति और समुदाय के अनुसार गरीबी और पिछड़े वर्ग को देने की घोषणा की है। आरक्षण, शिक्षा एवं नौकरी में आर्थिक आधार पर आरक्षण, बिना किसी भेदभाव की सामाजिक व्यवस्था, केंद्र एवं राज्य सरकार की करोड़ों नौकरियां, जो पिछले, 10 वर्षों में नहीं भरी गई हैं, उनको भरने, संविदा कर्मियों को नियमित करने, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को, पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति, निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण, केंद्र सरकार के बजट का उपयोग 90 फ़ीसदी समुदाय की आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए वितरण करने आदिवासियों को वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत जल, जंगल और जमीन के अधिकार, ग्राम और जिला सरकार का सशक्तिकरण, मुफ्त शिक्षा, भारत में पैदा हुए सभी लोगों के लिए समान अवसर, सभी धर्म के लोगों के लिए समान मानव अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता, अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों को बरकरार रखना। भाषा के आधार पर संरक्षण, वरिष्ठ नागरिकों विधवाओं और दिव्यांगों के लिए ₹1000 प्रति माह की पेंशन, वरिष्ठ नागरिकों को विशेष अधिकार, बिना किसी भेदभाव के स्वास्थ्य व्यवस्था, गंभीर बीमारियों में 25 लाख रुपए तक के नि:शुल्क इलाज की सुविधा, बेरोजगारों के लिए 1 लाख रूपये का स्टाइपेंड, प्रत्येक परिवार की गरीब महिला को ₹100000 सालाना की आर्थिक मदद, किसानो और गरीबों की कर्ज माफी, जैसे कई प्रावधान कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किए हैं। किसानों की कर्ज माफी और कृषि उत्पादन की एमएसपी तय करने का प्रावधान घोषणा पत्र में किया है। भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 10 साल से हिंदुत्व और धार्मिक ध्रुवीकरण के सहारे चुनाव जीतने का काम किया है। आर्थिक दृष्टि से 90 फ़ीसदी आबादी 2014 की तुलना में और गरीब हुई है। केंद्र सरकार को 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देना पड़ रहा है। लोगों की क्रय शक्ति कम हो रही है। बेरोजगारी दिनों-दिन बढ़ रही है। सरकारी नौकरी के स्थान पर संविदा नियुक्ति पिछले 10 सालों में दी जा रही है। सेना, रेलवे और बैंक की भर्ती बंद है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के रिक्त पद खाली पड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने 80-20 का मुकाबला अब 90-10 से करने की रणनीति तैयार की है। इसमें कांग्रेस सफल होती हुई नजर आ रही है। पहली बार भाजपा को कांग्रेस की बिछाई गई बिसात पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा ने जो वादे किए थे, वे वादे पूरे नहीं हुए। अच्छे दिन आए नहीं, महंगाई कम नहीं हुई और भी जो वादे थे वे पूरे नहीं हुए। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। महंगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेता कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र पर हमलावर हैं। भाजपा अपने ढंग से कांग्रेस के घोषणा पत्र की व्याख्या कर रही है। पिछले 10 वर्षों में आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से जो परिवर्तन आए हैं, उसको देखते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रथम चरण के मतदान में ही बाजी मार ली है। 100 फ़ीसदी जाति और समुदाय की जनगणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण करके सरकार के बजट का 90 फ़ीसदी हिस्सा 90 फ़ीसदी लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर देने का उल्लेख कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किया है। 80 फ़ीसदी हिंदुत्व को एक झटके में कांग्रेस ने कई हिस्सों में बांट दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रचार में इसका असर दिख रहा है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की ओर मतदाता आकर्षित हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 10 वर्षों में जो बड़े-बड़े वायदे किए उन्हें पूरा नहीं किया जिससे मतदाताओं के बीच में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की लोकप्रियता घटी है। इसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिलता हुआ दिख रहा है। जो भाजपा की चिंता का सबसे बड़ा कारण बन गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से प्रधानमंत्री 1 दिन में 3 से 5 जनसभाएं और रैलियां कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं, यह चुनाव पूरा प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा जा रहा है। भारत जोड़ा यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी को बराबरी की चुनौती देते हुए दिख रहे हैं। धार्मिक ध्रुवीकरण बनाने का बहुत प्रयास किया जा रहा है लेकिन अब यह भी परवान नहीं चढ़ रहा है। ईएमएस / 25 अप्रैल 24