लेख
17-May-2024
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केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ईड़ी के अधिकारियों द्वारा ‎जिस तरह से पीएमएलए कानून में गिरफ्तारियां की जा रही थी। गिरफ्तारी करने के बाद सबूत तलाशे जाते थे। जिन लोगों को ईड़ी गिरफ्तार कर लेती थी। उन्हें महीनो और सालों तक जांच और चार्ज शीट पेश करने के नाम पर जेल में बंद रखकर प्रताड़ित किया जाता था। दिल्ली के शराब घोटाले मामले में 2 साल से आरोपी जेल में बंद है। हनुमान जी की पूंछ की तरह शराब घोटाले में आरोपियों और गिरफ्तारियो की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही थी। ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से पीएमएलए कानून में विशेष प्रावधान होने के कारण न्यायपालिका जमानत नहीं दे सकती थी। ईड़ी की कार्यप्रणाली को लेकर धीरे-धीरे खुलासे हुए। तब जाकर सुप्रीम कोर्ट को समझ आया, केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) कानून मे मिले विशेष अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। बिना नियम कानून का पालन किये मनमाने तौर पर आरोपियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग कानून में दोहरे प्रावधान होने के कारण आरोपियों को दो अलग-अलग परीक्षण से गुजरना होता था। ईड़ी के अधिकारी पीएमएलए कानून की धारा 19 तथा धारा 45 के नियमों के तहत मिले विशेष अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल भुईया की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के पश्चात ईड़ी के अधिकारियों के पैरों पर कानून की बेडियां पहना दी ‎हैं। अब ईड़ी के अधिकारी कानून के तहत मिले विशेष अधिकारों का दुरुपयोग नहीं कर पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के ही न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता की खंडपीठ ने अरविंद केजरीवाल के मामले में भी अंतरिम जमानत देकर, ईड़ी की कार्य प्रणाली और ईड़ी के अधिकारियों द्वारा कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर जमकर लताड़ लगाई थी। ईड़ी के अधिकारियों द्वारा जो मनमानी की जा रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उस पर रोक लग जाएगी। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी अब धारा 19 में किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकेंगे, जब तक इसकी अनुमति स्पेशल कोर्ट से न ली गई हो। गिरफ्तारी के पहले अधिकारियों को न्यायालय में सबूत प्रस्तुत करने होंगे। न्यायालय की संतुष्टी होने पर गिरफ्तारी की अनुमति मिलेगी। बिना सबूत, केवल आरोप के आधार पर अब किसी की गिरफ्तारी संभव नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है, जो आरोपी कोर्ट के सामने पेश हो जाता है। उसके संबंध में कोई भी ‎निर्णय करने का अधिकार केवल न्यायपालिका को होगा। ‎‎किसी भी कार्यवाही के लिए विशेष अदालत से ईड़ी को पूर्व अनुमति लेना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है। उसके अनुसार कोर्ट पहले सरकारी वकील को सुनेगा। उसके बाद यदि कोर्ट संतुष्ट होगी, आरोपी दोषी नहीं है, या उसकी गिरफ्तारी जरूरी है। ऐसे सभी मामलों में न्यायालय द्वारा निर्णय लिए जाएंगे। अदालत को ऐसा लगता है, जमानत मिलने के बाद आरोपी अपराध नहीं करेगा। तो विशेष अदालत (ट्रायल कोर्ट) भी आरोपी को जमानत दे सकेगी। पिछले दो-तीन वर्षों में ईड़ी के अधिकारियों का खौफ सारे देश में सभी वर्गों के ऊपर फैल गया था। पीएमएलए कानून में लंबे समय तक जमानत नहीं होती थी। दोहरे कानून होने के कारण न्यायालय से भी गिरफ्तार व्यक्तियों को जमानत नहीं मिल पा रही थी। विपक्ष लगातार आरोप लगाता था, सरकार के इशारे पर ईड़ी के अधिकारी विपक्षी दलों के नेताओं पर जानबूझकर आरोप के आधार पर जेल भेज रहे हैं। गिरफ्तारी के बाद डरा -धमका कर बयान लेने और सबूत जुटाने का प्रयास ईड़ी के अधिकारी करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ईड़ी का जो खौफ विपक्षी दलों के नेताओं, अधिकारियों, कारोबारी तथा सरकार से सवाल पूछने वाले लोगों के बीच में बना हुआ था। उससे अब लोगों को राहत मिलेगी। राजनीति में भी पारदर्शिता आएगी। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जवाब देही तय होगी। ईड़ी का कितना भय था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। करोड़ों रुपए की ठगी, नकली ईड़ी के अधिकारी बनकर ठग करने लगे थे। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय देर से आया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने साबित कर दिया है, कानून का राज सभी के ऊपर लागू होता है। सरकार और ईड़ी के अधिकारी इससे अलग नहीं हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से संविधान में वर्णित स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सराहना सर्वत्र हो रही है। आपातकाल के दौरान जिस तरह का भय लोगों में 1975 में देखने को मिलता था। उससे ज्यादा भय अघोषित आपातकाल में ईड़ी का भय लोगों के मन में देखने को मिल रहा था। इस डर और भय से मुक्ति दिलाने का काम सुप्रीम कोर्ट ने किया है। एसजे / 17 मई 2024