आम-चुनाव 2024 के नतीजे भले ही खिचड़ी हों। लेकिन मप्र में मोदी-मोहन मैजिक चला इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। यूं तो इस बार के नतीजे अलग-अलग राज्यों के लिहाज से अलग देखे जाएंगे। लेकिन जहां तक मध्य प्रदेश और दिल्ली की बात है, भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। निश्चित रूप से इसका श्रेय दिल्ली भाजपा संगठन तो मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश संगठन को जाता है। प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों में जिस तरह की बयार बह रही थी उसके बावजूद हवा के रुख का जरा सा भी असर नहीं होना बताता है कि कहीं न कहीं इसके लिए डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की तैयारियां अचूक थीं।छिंदवाड़ा की जीत यही बताती है। प्रदेश की सीमाओं की बात करें तो उत्तर में उत्तर प्रदेश,दक्षिण में महाराष्ट्र, उत्तर-पश्चिम में राजस्थान, पश्चिम में गुजरात औरपूर्व में छत्तीसगढ़ जहां हर जगह भाजपा को वो क्लीन स्वीप नहीं मिली जो कि मध्य प्रदेश और दिल्ली में एकतरफा थी। इस बात को कैसे नकार सकता है कि यह बिना मेहनत संभव हुआ होगा? वह भी उन हालातों में जब मतदाताओं ने यहां भी खामोशी अख्तियार की हुई थी। शायद इसी मुगालते में कांग्रेस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही औरखामोश मतदाताओं ने मोदी-मोहनके भरोसे पर भाजपा की पूरी झोली भर दी। मुख्यमंत्री बनते ही डॉ. मोहन यादव के कड़े फैसलों जिसमें बेलगाम लाउड स्पीकरों सहित मांस, मटन की खुले आम बिक्री पर लगाम लगाना अहम रहा। सख्ती के साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने केतल्ख संदेश को हर वर्ग ने सराहा। यहीं से उनकी अलग छाप दिखी। इसके अलावा प्रदेश में बढ़ते बल्कि बेखौफ हो चुके माफिया राज को भी न केवल काबू किया बल्कि ताबड़तोड़ कार्रवाई करवो किया जो अब तक नहीं हुआ। इसी बीच नर्सिंग घोटाले, बिगड़ी कानून व्यवस्था दुरुस्त करने, निजी स्कूल माफियाओं पर सख्तीने साफ कर दिया कि जो चलता था,अब नहीं चलेगा।इससे प्रदेश की बेलगाम अफसरशाही को भी सख्त संदेश गया। कई मौकों पर आचार संहिता के चलते भी अड़चनें आईं लेकिन बावजूद इसके अपनी सीमा में जो किया वह भी बड़ा ही था। चुनाव के तीसरे चरण के दौरान शहडोल में रेत माफियाओं द्वारा एक पुलिस अधिकारी को ट्रैक्टर से रौंदकर मार डालने, शहडोल संभाग मुख्यालय में ही नाबालिग बालिका से गैंगरेप की घटना ने सबका ध्यान खींचा। लेकिन घटना में शामिल सभी आरोपी न केवल तुरंत धरे गए बल्कि सभी के अवैध निर्माणों को जमींदोज कर सीखचों में पहुंचा अपना सख्त पैगाम फिर दे दिया। निश्चित रूप से इस सख्ती का पूरे प्रदेश में बड़ा संदेश गया। प्रदेश मे बेलगाम हो चुके खनन माफियाओं पर देखते ही देखते दर्जनों से सैकड़ो मेंहुई ताबड़तोड़ कार्रवाइयों से संगठित, सिंडीकेट के रूप में काम करने वाले लोग सकते में आ गए। सीधी, सिंगरौली, शहडोल, देवास, सीहोर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, खरगौन, हरदा में पचासों करोड़ रुपए के पोकलिन मशीनें, पनडुब्बी सहित रेत ढ़ोने वाले हाइवा, ट्रेक्टर जप्त हुए। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश में किस कदर खनन माफिया हावी रहे जिनकी जडें बहुत गहरी और अर्से से हैं। अवैध रेत निकासी, अवैध कोयला खदानों पर भी धड़ाधड़ गाज गिरने लगी। कोयला-रेत उत्खनन का गढ़ बनते शहडोल में ही मई के आखिरी सप्ताह तक 74 मामलों में 5 करोड़ 19 लाख रुपयों से ज्यादा का जुर्माना लगाकर नवागत कलेक्टर तरुण भटनागर ने बता दिया कि शासन-प्रशासन और डॉ. मोहन यादव की मंशा क्या है। इसी तरह ड्रग माफियाओं पर भी जबरदस्त नकेल कसी गई। मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए जहां-तहां अवैध गांजे व नशीली दवाइयों की खेप पकड़ी जाने लगीं। शायद ही कोई दिन जाता हो जब प्रदेश में कहीं न कहीं ऐसी कार्रवाई न दिखती हो। अब प्रदेश में जिलों और संभागों की नई सीमाओं के पुनर्गठन की तैयारी है। इसकी अर्से से मांग थी। प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी को संभाग या जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि दूसरा जिला मुख्यालय उनके करीब होता है। राज्य में सीमा पुर्नगठन आयोग 10 संभागों व 55 जिलों की भौगोलिक समीक्षा कर तमाम विसंगतियों को दूर करेगा और लगभग एक वर्ष में अपना काम पूरा कर लेगा। मुख्यमंत्री की विशेष निगाहें राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर है। हाल में स्कूल माफियाओं जिसमें निजी स्कूलों और प्रकाशकों की सांठगांठ पर बड़ी कार्रवाई जबलपुर, शहडोल सहित कई जिलों में होना बताता है कि सरकारी स्कूलों के दिन फिर बहुरने वाले हैं। दरअसल मप्र में जनजातीय कार्य विभाग व स्कूल शिक्षा विभाग की दोहरी व्यवस्था है। जहां-जहां जनजातीय विभाग के अधीन शिक्षा व्यवस्था है वहां पर भारी अव्यवस्थाएं सामने हैं। कहीं अपात्रों को बड़ी संस्थाओं का मुखिया बना देना कहीं जूनियरनौसिखियों के हाथों में कन्या छात्रावासों की जिम्मेदारी तो बड़ी-बड़ी स्कूलों काप्रभार सौंपने का बहुत बड़ा खेल हुआ है। इतना ही नहीं बीते वर्ष प्रधानमंत्री मोदी की शहडोल यात्रा के बाद चर्चा में आए शहडोल के पकरिया में व्यवस्थाओं का नहीं बदलना खूब सुर्खियों में रहा। एक अदद नियमित अंग्रेजी लेक्चरर को तब भी और अब भी पकरिया का पोषण स्कूल और पूरा करीबी आदिवासी अंचल तरस रहा है। वहीं जनजातीय कार्य विभाग की असीम कृपा से पकरिया से 5 किमी दूर धनपुरी कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल है जहां झूठी जानकारी देकर अंग्रेजी के दो-दो लेक्चरर अब भी तैनात हैं। तत्कालीन जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री के दौरे और तब दो-दो बार तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आने, रुकने के दौरान यह बात चतुराई से छिपाई थी। निश्चित रूप से ऐसी विसंगतियां और उदाहरण पूरे प्रदेश में सुनाई देते हैं। कहीं अतिशेष तो कहीं युक्तियुक्तकरण के मनमाने मायने निकाल बेखौफ संकुल प्रभारियों का खेला और डेपुटेशन के जरिए कमाने कोजरिए से भी डॉ. यादव वाकिफ हैं। कई बार संकुल व्यवस्था खत्म करने की बातें हुईं। अब इसको लेकर भी बड़ी कार्रवाई की बात भोपाल में सुनने आ रही है। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में सुधार को लेकर बड़ी रणनीति बन रही है तो जनसरोकारों से जुड़े हर विभाग की व्यक्तिगत समीक्षा और निगरानी की योजना चर्चाओं में है। मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा आम चुनाव में क्लीन स्वीप के बाद राज्य सरकार की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लेकर स्वनामधन्यों का भ्रम टूटता जा रहा है। आचार संहिता खत्म हो चुकी है। विभागों की समीक्षा जारी है। जल्द ही व्यापक स्तर पर बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी है। अधिकारियों से लेकर बरसों से एक ही कुर्सी पर विराजे छोटे-बड़े मुलाजिमों की विदाई के साथ झूठी जानकारी देकर कुण्डली मार जमने वालों के बदले जाने की चर्चाएं हैं।जैसा सुनने में आ रहा है इस बार दलाल संस्कृति के बजाए मुख्यमंत्री अपनी विश्वनीय टीम और भरोसेमंदों से जानकारियों के आधार पर जिले से लेकर तहसील कार्यालयों सहित दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के सराकरी स्कूलों, स्वास्थ्य सुविधाओं, ग्राम पंचायतों तक में बड़ा परिवर्तन कर सकते हैं।फर्जी जानकारियों के बूतेकुण्डली मारकर बैठे स्वनामधन्यों को नए ठिकानों पर रुखसत किया जाना तय माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में शासन स्तर पर अब जैसी कार्रवाइयों की तैयारियां हैं उससे लोगों में एक नई उम्मीद जरूर बंधी है। यदि सब कुछ योजनाबध्द चला तो वह दिन दूर नहीं जब देश में मध्य प्रदेश और डॉ. मोहन यादव मॉडल अपनी अलग प्रशासनिक पहचान बनाकर देश कोनया संदेश देगा। ईएमएस / 10 जून 24