राज्य
21-Jun-2024
...


मुनिश्री प्रमाण सागर ने कहा-हम अपनी भावना को व्यवस्थित कर जीवन को संतुलित कर सकते हैं भोपाल (ईएमएस)। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर शुक्रवार को श्री दिगंबर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट और गुणायतन परिवार द्वारा टीटी नगर स्टेडियम में वृहद योग कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें मुनिश्री प्रमाण सागर भावना की गहराई में उतरकर व्याधियां दूर करने की कला भावना योग सिखाया। योग सुबह 6 बजे प्रारंभ होना था, लेकिन तडक़े शुरू हुई बारिश के कारण कार्यक्रम देरी से शुरू हुआ, फिर भी भावना योग करने के लिए बच्चे और बुजुर्ग छाता लगाकर स्टेडियम में डटे रहे। मुनिश्री ने कहा कि यदि हम अपनी भावनाओं को व्यवस्थित रखते हैं तो हम अपने जीवन को संतुलित कर सकते हैं। मुनिश्री ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति का मूल आधार स्तंभ है। आत्मा का परिचय कराने का नाम योग है। भारतीय योग को पूरे विश्व में परिचित कराने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा योगदान है। आज पूरा विश्व योग की साधना कर रहा है। सामान्यत: जब भी योग की बात आती है हमारा ध्यान आसन पर आ जाता है पर कर्मों में कुशलता ही योग है। उन्होंने कहा कि भावनाओं का योग ही भावना योग कहलाता है। हमारी जैसी भावना होगी, हमारा शरीर भी उसी तरह कार्य करता है, उसी तरह के रसायन हमारे शरीर में उत्पन्न होने शुरू हो जाते हैं। भावना का गहरा संबंध स्वास्थ्य से होता है। मुनिश्री ने कहा कि भावना का स्वास्थ्य से गहरा संबंध होता है। उदासी भी एक भावना है उत्साह भी एक भावना है और नकारात्मकता एवं सकारात्मकता भी भावना ही है। मुनि श्री ने जनसमुदाय से कहा कि भावना योग से चिंता, अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। वहीं भावना योग से हम शारीरिक बीमारी कैंसर आदि को भी दूर कर सकते हैं। जैन धर्म में भावनाओं का काफी महत्व है, उसमें बताया जाता है कि आत्मा से परमात्मा बनने का रास्ता ध्यान है। आप नित्य अपनी आत्मा को ध्याओ तो आप परमात्मा बनने के मार्ग पर आगे बढ़ जाओगे। भावों में विचार, विचार में प्रवृति और प्रवृत्ति से चरित्र बनाता है। यदि आप अपने चरित्र को निर्मल करना चाहते हो तो अपनी भावना को निर्मल करना होगा।