लेख
25-Jul-2024
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सिर पर सदैव लाल पगड़ी बांधे, लम्बी सफेद दाढ़ी, संत, विचारक, चित्रकार, कवि, श्रमिक नेता सरल बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी सर्वव्यापी बाबा नाम से चर्चित कामरेड रामस्वरूप इंदौरिया अब हमारे बीच नहीं रहे, बस रह गई तो सिर्फ उनके सरल स्वभाव, मिलनसार, कर्मशील पहचान जिसके चलते वे सदैव अमर रहेंगे। राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र महान संत पं गणेश नारायण की कर्मस्थली, सेठों की महानगरी तहसील चिड़ावा के पास जिला झुझुनूॅ के गांव वृंदावन भरौंदा में 28 अप्रैल 1935 को जन्में बाबा इंदौरिया ने ताउम्र विवेकानंद की धरा खेतड़ी क्षेत्र में स्थित ताम्र नगरी खेतड़ीनगर को कर्मस्थली बनाया जहां एसिया के सबसे बड़े ताम्र उद्योग भारत सरकार का सार्वजनिक प्रतिष्ठान हिन्दुस्तान काॅपर लिमिटेड की ईकाई खेतड़ी कापर काम्पलैक्स में पेंटर पद पर कार्य करते हुये चर्चित चित्रकार की भूमिका निभाते हुये मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन खेतड़ी ताम्बा श्रमिक संघ के पदाधिकारी बनकर श्रमिक नेता के रूप मे अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। श्रमिक नेता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाये हुये कामरेड रामस्वरुप इंदौरिया अपने सरल स्वभाव के चलते सभी के चहते बने रहे। कम्पनी के उच्च अधिकारी, कर्मचारी से लेकर सभी श्रमिक संगठन के नेता इन्हें आदर सहित बाबा नाम से पुकारते। श्रमिक संगठन एवं प्रबंधक वर्ग के बीच किसी बात पर मतभेद हो जाने पर कुशल नेतृत्व के बल पर उचित समाधान निकाल लेने की असीम शक्ति इनके अन्दर विराजमान थी। मंच पर नेता के रुप में ओजस्वी भाषण के साथ - साथ काव्य गोष्ठी में ओजस्वी काव्य पाठ में भी इनकी पहचान सर्दव बनी रही। साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य परिषद के पदाधिकारी भी रहे। परिषद ने इनकी काव्य रचना को भी प्रकाशित किया। इस तरह ये बहुआयामी चरित्र को जीते हुये अपनी अमर पहचान हमारे बीच छोड़ते हुये 24 जुलाई को परलोक सिधार गये। ये स्वभाव से सदैव संत जीवन बिताये। जिसकी याद सदैव बनी रहेगी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी संत पुरुष, श्रमिक नेता सभी के चहेता बाबा इंदौरिया को आदर सहित विनम्र श्रद्धांजलि। ईएमएस / 25 जुलाई 24