ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। कहा जा रहा है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जिस तरह के हालात थे। वैसी ही स्थिति ब्रिटेन की 2024 में देखने को मिल रही है। ब्रिटेन की स्कूली शिक्षा, नेशनल हेल्थ सर्विस, बेरोजगारी, बुजुर्गों की दयनीय हालत, खाने-पीने के सामान की किल्लत, ईंधन की कमी, निर्माणकार्य के लिए उपयोग में आने वाले सामान की कमी से ब्रिटेन के नागरिक हलाकान हैं। विकासशील और गरीब देशों जैसे हालात ब्रिटेन के इन दिनों बन गए हैं। कंजरवेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक थे। उन्होंने समय के पहले चुनाव कराए और बुरी तरह से पराजित हुए। जुलाई में हुए 650 सीटों के चुनाव में 412 सीटों पर लेबर पार्टी ने जीत हासिल की है। ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी मात्र 120 सीटों पर सिमट गई। लिबरल डेमोक्रेट्स को 71 सीटों पर तथा 42 अन्य सांसद चुनाव में जीते हैं। कंजरवेटिव पार्टी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण महंगाई, बेरोजगारी एवं आर्थिक संकट था। ब्रिटेन में पिछली सरकार द्वारा लगातार टैक्स बढ़ाए गए। कॉर्पोरेट के ऊपर सरकार मेहरबान रही, ब्रिटेन की कॉर्पोरेट कंपनियां कर चोरी जैसे मामलों में लिप्त थीं, लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। आम जनता में पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश था। प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक ब्रिटेन की आर्थिक चुनौतियों का सामना नहीं कर सके। अब लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बने हैं। उनके लिए चुनौतियां का पहाड़ खड़ा हुआ है। लेबर पार्टी ने चुनाव के समय कोई बड़े वादे नागरिकों से नहीं किये। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने बड़ी सावधानी बरती थी। सरकार के लिए जो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ हल करना होगा। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था वर्तमान में बहुत धीमी गति से चल रही है। पिछले 24 वर्षों से ब्रिटेन जी7 समूह का सदस्य है। ब्रिटेन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 12 साल में सबसे कम है। ब्रिटेन की कई नगरीय संस्थाएं दिवालिया हो चुकी हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी और अधिकारी अधिक वेतन की मांग कर रहे हैं। ब्रिटेन की जेलों में क्षमता से अधिक संख्या में कैदी बंद हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस के पास पैसा नहीं है। इस कारण ब्रिटेन के नागरिकों को अस्पतालों में उपचार नहीं मिल पा रहा है। ब्रिटेन में स्कूली शिक्षा मुफ्त है, लेकिन वहां की भी हालत बहुत खराब है। सरकार के आर्थिक संकट का असर स्कूली शिक्षा में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। ब्रिटेन के नागरिकों को ईंधन उपलब्ध नहीं हो रहा है। राशन में कालाबाजारी हो रही है। इस तरह की चुनौतियां ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री के सामने हैं। जल्द ही नई सरकार ने इनसे राहत दिलाने वाले निर्णय नहीं लिए तो ब्रिटेन की स्थिति विस्फोटक हो सकती है। ब्रिटेन में 2010 से सरकारी खर्चे में कटौती की जा रही है। इसका असर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में पड़ा है। निजी क्षेत्र के पास निवेश नहीं आ रहा है। नागरिकों को लगता है, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से धराशाई हो चुकी है। इसके लिए वहां के नागिरक कंजरवेटिव पार्टी को जिम्मेदार मान रही है। हाल ही के चुनाव में लेबर पार्टी के पक्ष में मतदान करने के पीछे कंजरवेटिव पार्टी के खिलाफ गुस्सा है। लेबर पार्टी द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान आर्थिक स्थितियों को जल्द से जल्द बेहतर बनाने का वायदा किया गया था। उसके कारण ब्रिटेन में लेबर पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली है। कोरोना महामारी के बाद ब्रिटेन के आर्थिक हालात बहुत खराब हुए हैं। ब्रिटेन की आर्थिक बदहाली का एहसास लेबर पार्टी को पहले से है। वर्तमान संकट की स्थिति में वह लोकप्रियता के चलते लोगों की सोच में बदलाव ला सकते हैं। वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए ब्रिटेन की जनता को वास्तविक जानकारी देते हुए, उनका सहयोग भी ले सकती हैं। लेबर पार्टी सरकार की प्रथम प्राथमिकता रोजगार, शिक्षा, नेशनल हेल्थ स्कीम को ठीक करना है। लोगों को खाने-पीने का सामान आसानी से उपलब्ध हो, राशनिंग में जो कालाबाजारी हो रही है, उसको तुरंत रोकने के उपाय करना होंगे। दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था में मंदी छाई हुई है। पिछले वर्षों में सरकार ने अपने खर्च बेतहाशा बढ़ाए थे। खर्च को पूरा करने के लिए टैक्स बड़ी मात्रा में लगाये हैं। जिसके कारण ब्रिटेन में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है। जिस तरह के हालात ब्रिटेन में बने हुए हैं, ब्रिटेन के नागरिकों ने इस स्थिति की कभी कल्पना नहीं की थी। ब्रिटेन में 75 से 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग हैं। वह जरूर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की याद करके आर्थिक स्थिति और बदहाली के अपने अनुभव बता रहे हैं। मौजूदा पीढ़ी ब्रिटेन की वर्तमान स्थिति से काफी नाराज है। वह चाहती है, कि सरकार रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सेवाएं, महंगाई कम करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में ठोस काम करे। वर्तमान आर्थिक संकट में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर किस तरह से स्थितियों को संभालते हैं, यही उनकी सफलता और असफलता का कारण बनेगा। ब्रिटेन के वर्तमान हालात सारी दुनिया के देशों के लिए एक सबक हैं। पूंजीवादी व्यवस्था और विकास के बीच एक संतुलन आवश्यक है। मध्य और निम्न आय वर्ग के लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं वहीं अमीर और अमीर हो रहे हैं। सरकार जिस तरह की नीतियां बनाती है। उसका फायदा अमीरों को मिलता है। गरीब और मध्यम वर्ग कमजोर होता जा रहा है। इस पर समय रहते ध्यान देने की जरूरत है। ईएमएस / 28 जुलाई 24