राज्य
13-Sep-2024
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- जमीनी विवाद के कारण भोपाल में नहीं हो पा रहा सीमांकन भोपाल (ईएमएस)। राजस्व महाभियान के दौरान जहां एक तरफ प्रदेश भर में राजस्व प्रकरणों के निराकरण का रिकॉर्ड बना, वहीं भोपाल जिले में अभी भी एक लाख 58 हजार से अधिक नक्शा सुधार सहित अन्य प्रकरण लंबित हैं। अधिकारियों का कहना है जिले में जमीनों के विवाद की वजह से सीमांकन की कार्रवाई नहीं हो पाती है। शहर की सीमा के मुख्य मार्गों पर लगी जमीनों को लेकर सबसे अधिक विवाद हैं। जिले की कोलार, हुजूर, बैरसिया सहित अन्य तहसीलों में राजस्व प्रकरण लंबति हैं। सबसे प्रमुख नक्शा सुधार का काम अटका हुआ है। गौरतलब है कि राजस्व महाभियान के दौरान ही दो लाख नौ हजार 453 में से सिर्फ 50 हजार 501 प्रकरणों का निराकरण हो सका था। जबकि एक लाख 58 हजार से अधिक प्रकरण लंबित हैं। जमीनों की कीमत अधिक होने के कारण एक-एक इंच को लेकर झगड़ा हो जाता है।अधिकारी और सर्वेयर सीमांकन करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। बता दें कि राजस्व महाभियान के दौरान नक्शा सुधार के प्रकरणों का निराकरण किया जाना था लेकिन आपसी विवादों की वजह से सीमांकन की कार्रवाई नहीं हो सकी और यह मामले अब भी लंबित हैं। कई क्षेत्रों में विवाद की स्थिति शहर की सीमाओं पर स्थित कृषि भूमि पर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से अवैध कालोनियों का विकास हुआ है। इनमें सिर्फ डायवर्सन के नाम पर प्लाट काट दिए जाते हैं। यहां पर रोड तो स्पष्ट होती ही नहीं है, बिजली पोल और नाली आदि के लिए भी जमीन नहीं होती है। नाला और सरकारी जमीन तक पर प्लाट काट दिए जाते हैं। जब भी ऐसी भूमि से लगे जमीन मालिक सीमांकन कराते हैं तो आपसी विवाद शुरू हो जाता है और मामला अटक जाता है। शहर से लगे क्षेत्र लांबाखेड़ा, बैरसिया रोड, ईंटखेड़ी, देवलखेड़ी, पुरामनभावन, इमलिया, अरवलिया, परवलिया, अचारपुरा, खेजड़ा, सेमरा, मुगालिया कोट, रातीबड़, नीलबड़, सूरज नगर, विशनखेड़ी, अयोध्या बायपास, विदिशा रोड, खजूरी कलां, खजूरी सडक़ आदि क्षेत्रों में अक्सर सीमांकन को लेकर विवाद होते हैं। दरअसल यहां सीमांकन के बाद ही सही स्थिति का पता चलता है। जमीन पर अन्य किसी का कब्जा होता है तो आपस में विवाद शुरू हो जाता है।