बर्नाबी (कनाडा) (ईएमएस)। सिमोन फ्रेसर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कायली बायर्स का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में शाम के समय आसमान में केवल कुछ चमगादड़ ही घूमते दिखेंगे। यही वह समय होता है जब चमगादड़ों की कुछ प्रजातियां नजरों से ओझल हो जाती हैं। प्रोफेसर ने कहा, सर्दी के मौसम में वे चट्टानों की संकरी दरारों या गुफाओं में आराम करते हैं। अच्छी बात यह है कि चमगादड़ों का इस तरह गायब होना कुछ समय के लिए होता है। चमगादड़ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। वे पर्यावरण में पोषक तत्वों के प्रसार और पौधों के परागण में मददगार साबित होते हैं। वे कीटों को भी खाते हैं, जिससे खेती में कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है। हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बहुत अधिक फायदा पहुंचाते हैं, चूंकि वे अंधेरे में अपनी गतिविधियां करते हैं, इसलिए हम उनकी तरफ से मिलने वाली मदद से अकसर अवगत नहीं होते। मौसमी तौर पर चमगादड़ों के गायब होने से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि दशकों से उत्तरी अमेरिका में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट देखी जा रही है। जंगलों की कटाई से उनका आश्रय स्थल घटना, शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार से चमगादड़ों के लिए उपयुक्त जगह की कमी होती जा रही है। साथ ही फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के कारण बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत भी हो जाती है। हालांकि, चमगादड़ों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि फंगस और ‘स्यूडोगाइमनोस्कस’ के कारण ‘व्हाइट नोज सिंड्रोम’ फैलता है। इस घातक फंगस के कारण उत्तर अमेरिका में 60 लाख से अधिक चमगादड़ों की जान जा चुकी है। पूर्वी कनाडा में ‘व्हाइट नोज सिंड्रोम’ विशेष रूप से विनाशकारी साबित हुआ है, जहां इसके कारण भूरे रंग के छोटे मायोटिस (मायोटिस ल्यूसिफुगस) और नॉर्दर्न मायोटिस (मायोटिस सेप्टेंट्रियोनालिस) की आबादी में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। फंगस का प्रकोप पश्चिमी देशों में भी बढ़ रहा है, जहां जुलाई में सस्केचेवान में इसका पहला मामला सामने आया था। ‘व्हाइट नोज सिंड्रोम’ ब्रिटिश कोलंबिया में नहीं पाया गया है, लेकिन इसका खतरा मंडरा रहा है। कायली बायर्स का कहना है कि हमारी शोध टीम कनाडाई वन्यजीव स्वास्थ्य सहकारी विभाग की ब्रिटिश कोलंबिया इकाई में एक दशक से अधिक समय से वन्यजीव स्वास्थ्य पर काम कर रही है। ब्रिटिश कोलंबिया में रहने वाले चमगादड़ों की 15 प्रजातियों के सामने आने वाले खतरों को समझने के लिए, हमने 2015 और 2020 के बीच मारे गए 275 चमगादड़ों पर अध्ययन किया। हमने पाया कि मृत्यु के सबसे सामान्य कारण मानव गतिविधि से जुड़ा है। यह जानकारी इस समय शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के बीच चमगादड़ों की आबादी का पता लगाने में हमारी मदद कर सकती है। चमगादड़ की जान बचाने के लिए हमें यह जानना होगा कि उनकी मौत कैसे होती है। कायली बायर्स का कहना है कि हमने जिन चमगादड़ों पर अध्ययन किया, उनमें से एक चौथाई की जान बिल्लियों ने ली थी। यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है- पालतू बिल्लियां वन्यजीवों की जान लेने के मामले में कुख्यात होती हैं। ऑस्ट्रेलिया में, एक अनुमान के मुताबिक आजाद घूमती पालतू बिल्लियां हर साल 39 करोड़ जंतुओं को मार डालती हैं। ये बिल्लियां न केवल चमगादड़ों के लिए बल्कि जैव विविधता के लिए भी खतरा पैदा करती हैं। सुदामा/ईएमएस 10 नवंबर 2024