बीजिंग(ईएमएस)। दशकों की रिसर्च और विकास के बाद, चीन और कुछ अन्य समुद्री शक्तियों ने समुद्र तल आधारित सिस्टम का उपयोग करके कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों का पता लगाने में सफलता प्राप्त की। यह हैरतअंगेज गहरे समुद्र का रडार चीन की पनडुब्बियों को एंटी-सबमरीन युद्ध में शिकार से शिकारी में बदलने की ताकत रखता है। अगर किसी विमान में अत्याधुनिक सेंसर लगे हों, तो वह पनडुब्बियों का पता लगा सकता है और उन्हें बिना उनकी जानकारी के टॉरपीडो से नष्ट कर सकता है। लेकिन अगर पनडुब्बियां समुद्र के नीचे के रडार से चेतावनी हासिल कर सकें और ऊपर के विमान के लगभग स्थान का पता लगा सकें, तो वे पानी के नीचे से मिसाइलें दागकर उसे नष्ट कर सकती हैं। चीन ने इंडो-पैसिफिक और दक्षिण चीन सागर में बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए खास तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया है। उसके खुफिया नेटवर्क ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी सफलता हासिल की है जो समुद्री युद्धों के भविष्य को बदल सकती है। एक गुप्त स्थान पर, समुद्र तल पर 1,000 मीटर (3,280 फीट) की गहराई में तैनात एक साउंड सेंसर सिस्टम ने 5,000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे एक फिक्स्ड-विंग प्लेन का सफलतापूर्वक पता लगाया और उसको ट्रैक किया है। इस प्रोजेक्ट में शामिल वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी। अब तक, किसी अन्य देश के पास यह एडवांस पहचान तकनीक नहीं थी। अधिकांश ध्वनि तरंगें जो विमान द्वारा उत्पन्न होती हैं, समुद्र की सतह से वापस आकाश में लौट जाती हैं, और केवल एक छोटा हिस्सा पानी में प्रवेश करता है। ये ध्वनि तरंगें तब विभिन्न तापमान, घनत्व और नमक वाले समुद्री जल की परतों, साथ ही महासागरीय धाराओं और भंवरों से गुजरते समय भारी हो जाती हैं। चीनी साइंस एकेडमी के ध्वनिकी संस्थान के झांग बो और पेंग झाओहुई के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने एक अनोखा तरीका प्रस्तावित किया। उन्होंने सिद्धांत दिया कि विमान द्वारा उत्सर्जित ध्वनि तरंगों का एक हिस्सा, समुद्र तल से टकराकर, समुद्र की सतह पर वापस लौटेगा और फिर से वापस उछल सकता है, जिससे ये तरंगें लंबी दूरी तक यात्रा कर सकती हैं। इन कमजोर संकेतों को पकड़कर और उनका उपयोग करके, शोधकर्ताओं का मानना था कि वे डिटेक्शन की संवेदनशीलता को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं, जिससे चीनी सेना की गुप्त खुफिया खोज ताकतों में काफी विस्तार हो सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस 28 जनवरी 2025