ज़रा हटके
03-Feb-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। बिना सेक्स के किसी भी प्रकार की प्रजातियों को आनुवंशिक स्थिरता और विलुप्ति का खतरा हो सकता है। लेकिन यह माइट्स (एक प्रकार के कीट) बिना सेक्स के लाखों सालों से जीवित हैं और अपनी संख्या बढ़ाते रहे हैं। इस बारे में वैज्ञानिकों ने यह समझने की कोशिश की है कि ये माइट्स बिना सेक्स के कैसे जीवित रहते हैं और अपनी प्रजातियों का विकास कैसे जारी रखते हैं। साइंस एडवांसेस नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया कि इन माइट्स के विकास का राज उनके गुणसूत्र के स्वतंत्र रूप से विकास में छिपा है, जिसे मेसल्सन प्रभाव कहा जाता है। इन माइट्स की एक खास प्रजाति, प्लाटिनोथ्रस पेल्टीफेर, बिना सेक्स के प्रजनन करती है, यानी ये माइट्स बिना नर के अपने अंडों से मादा संतान पैदा करती हैं। नर माइट्स बहुत कम होते हैं या होते ही नहीं, जिससे जीन पूल में उनका योगदान नहीं होता। शोधकर्ताओं ने माइट्स के गुणसूत्रों में अंतर का विश्लेषण किया और पाया कि जीन की अभिव्यक्ति में बड़े अंतर हैं। इसका मतलब है कि विभिन्न जीन अलग-अलग तरीके से सक्रिय होते हैं, जिससे ये माइट्स पर्यावरणीय बदलावों के प्रति जल्दी प्रतिक्रिया कर सकते हैं। अध्यान की लेखिका डॉ. हुस्ना ओजटोपरेक ने बताया कि “यह प्रक्रिया जीन को नए टूल्स के रूप में जोड़ा जा सकता है, जो माइट्स को नई परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करती है।” यह अध्ययन यह भी दिखाता है कि अलैंगिक (बिना सेक्स के) प्रजनन के दौरान आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। सुदामा/ईएमएस 03 फरवरी 2025