याचिकाकर्ता से कहा- हाईकोर्ट जाएं नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली के मयूर विहार फेज-2 में स्थित कालीबाड़ी, अमरनाथ और बदरीनाथ मंदिरों को तोड़ने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट में जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि इस तरह के मामले में पहले हाईकोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वे डीडीए को भी याचिका की कॉपी उपलब्ध कराएं, ताकि आगे की कार्रवाई सही तरीके से हो सके। यहां बताते चलें कि यह याचिका टी. दत्ता नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी। उन्होंने मांग की थी कि मयूर विहार में इन तीनों मंदिरों को तोड़ने की डीडीए की कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाई जाए। उनका कहना था कि ये मंदिर करीब 35 साल से वहां मौजूद हैं और स्थानीय लोगों की आस्था से जुड़े हैं। याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट में दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी ऐसे मामलों में हस्तक्षेप किया है, जैसे कि जहांगीरपुरी में धार्मिक स्थलों को तोड़ने का मामला। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का एक पुराना फैसला है, जिसमें 2009 से पहले बने धार्मिक स्थलों को हटाने पर रोक लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार नहीं किया। कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दायर की, जबकि वे पहले हाईकोर्ट जा सकते थे। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय मेहता की त्रिपल बेंच ने कहा कि इस मामले में कई सवाल हैं, जिनका जवाब हाईकोर्ट में बेहतर तरीके से मिल सकता है। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह इस मामले में तुरंत कोई फैसला नहीं देगा। आखिर क्या है मामला यह विवाद तब शुरू हुआ जब डीडीए ने मयूर विहार के संजय झील पार्क में बने इन मंदिरों पर नोटिस चिपकाया। नोटिस में कहा गया था कि ये मंदिर ग्रीन बेल्ट में बने हैं और इन्हें हटाना जरूरी है। डीडीए का यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के एक पुराने आदेश पर आधारित था। इसके बाद डीडीए की टीम मंदिरों को तोड़ने के लिए पहुंची, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण टीम को वापस लौटना पड़ा। स्थानीय नेताओं और जनता की प्रतिक्रिया इस घटना के बाद रात में ही मंदिर समितियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। स्थानीय विधायक रविंद्र सिंह नेगी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी इस कार्रवाई को रोकने की कोशिश की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सबकी नजरें दिल्ली हाईकोर्ट पर टिकी हैं। हिदायत/ईएमएस 20मार्च25