विशेषज्ञों का मानना पर्यावरण के लिए भयावह खतरा नई दिल्ली (ईएमएस)। यूरोप के कई देशों, विशेष रूप से ब्रिटेन से बड़ी संख्या में बेकार टायर एशिया और अफ्रीका में कबाड़ के रुप में भेजे जा रहे हैं, इसमें से एक बड़ा हिस्सा भारत पहुंच रहा है। वैश्विक स्तर पर करीब 400 करोड़ बेकार टायर लैंडफिल में पड़े हैं, और हर साल इनकी संख्या बढ़ रही है। यूरोपीय संघ ने पर्यावरणीय चिंताओं के कारण 2003 में ही लैंडफिल में टायरों के निपटान पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब ये टायर विकासशील देशों में भेजे जा रहे हैं, जहां इन्हें असुरक्षित तरीकों से जलाया जाता है। भारत में इन टायरों का इस्तेमाल पायरोलिसिस नामक प्रक्रिया के तहत हो रहा है, इसमें इन्हें ऑक्सीजन-रहित माहौल में 500 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है। इससे कार्बन ब्लैक, स्टील और तेल निकाला जाता है। हालांकि, यह प्रक्रिया अनियंत्रित तरीके से होने के कारण गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन से हर साल करीब 3 करोड़ टायर भारत भेजे गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यूके से भारत भेजे टायर अवैध औद्योगिक प्लांट्स में जलाए जा रहे हैं। इन प्लांट्स से निकलने वाली जहरीली गैसें स्थानीय पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। कई बार, इन प्लांट्स में आग लगने जैसी घटनाएं भी हो चुकी हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। भारत में भी इस तरह के लैंडफिल और अवैध प्लांट्स बढ़ते जा रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय संकट गहरा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को बेकार टायरों के आयात और उनके असुरक्षित निपटान पर सख्त नीति बनानी होगी। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तब यह समस्या आने वाले वर्षों में और विकराल रूप ले सकती है, जिससे न केवल पर्यावरण बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य को भी गंभीर खतरा होगा। आशीष/ईएमएस 28 मार्च 2025