अंतर्राष्ट्रीय
22-Apr-2025
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वॉशिंगटन (ईएमएस)। हम जानते हैं कि गैलेक्सीज डार्क मैटर के गुरुत्वाकर्षणीय कुएं में जन्म लेती हैं, लेकिन कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट ईथान नैडलर ने एक चौंकाने वाली खोज की है। उनके मुताबिक, कुछ डार्क मैटर हेलो इतने हल्के होते हैं कि वे तारे पैदा ही नहीं कर पाते। यानी, ये ऐसे खोखले गोले हैं जिनके भीतर कोई गैलेक्सी नहीं है। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि सिर्फ 10 करोड़ से 1 अरब सूर्यों के द्रव्यमान वाले डार्क मैटर हेलो ही तारे नहीं बना सकते। लेकिन नैडलर ने पाया कि सिर्फ 10 लाख सूर्यों के द्रव्यमान वाले हेलो भी तारे पैदा करने में नाकाम रहते हैं। यह खोज बताती है कि ऐसे ‘डार्क’ हेलो पहले के अनुमान से कहीं ज्यादा संख्या में मौजूद हो सकते हैं। चूंकि ये हेलो पूरी तरह अदृश्य हैं, इसलिए वैज्ञानिक उन्हें गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के जरिए खोजने की कोशिश कर रहे हैं। अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत के मुताबिक, डार्क मैटर हेलो अपने गुरुत्व से प्रकाश को मोड़ सकते हैं। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और रूबिन ऑब्जर्वेटरी जैसे उपकरण अब ऐसे 1 करोड़ सूर्यों के द्रव्यमान वाले हेलो का पता लगाने में सक्षम हैं। यह डार्क मैटर के व्यवहार को समझने में मदद करेगी। इससे ब्रह्मांड की संरचना के बारे में हमारी समझ बदल सकती है। वैकल्पिक डार्क मैटर सिद्धांतों (जैसे वार्म या सेल्फ-इंटरेक्टिंग डार्क मैटर) की पुष्टि या खंडन करने में मदद मिलेगी नैडलर का कहना है, ‘अगर ये ‘डार्क’ हेलो मिल जाते हैं, तो यह बड़ी सफलता होगी। लेकिन अगर नहीं मिलते, तो यह भी उतना ही दिलचस्प होगा। क्योंकि इसका मतलब होगा कि हमारे मौजूदा डार्क मैटर मॉडल गलत हैं।’ अगले कुछ सालों में जेडब्ल्यूएसटी और अन्य टेलीस्कोप्स से मिलने वाले डेटा शायद इस रहस्य को सुलझाने में मदद करेंगे। सुदामा/ईएमएस 22 अप्रैल 2025