लेख
28-Apr-2025
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वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव की पीड़ा सोशल मीडिया में देखने को मिली। वर्तमान परिपेक्ष में जो हालात हैं। उसकी गहरी चिंता को उजागर करती है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बेरसन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद जिस प्रकार भारत में कुछ संगठनों ने नफरत और विभाजन का नैरेटिव खड़ा करना शुरू कर दिया है, उससे गृह युद्ध जैसी स्थितियां पैदा होने के अंदेशा होने लग गया है। जो सामाजिक असंवेदनशीलता का परिचायक है। जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, उसको देखते हुए देश के सामूहिक सोच और विवेक पर भी प्रश्नचिह्न लगने लगा है। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए कड़े शब्दों में कहा, उनके बहुत से पूर्व मित्र अब धार्मिक भेदभाव को लेकर ‘भेड़िए’ बन गए हैं। कैसे प्रति हिंसा की आग में अपने ही अपनों को नोचने लगे हैं। इस सोच ने घर-घर में लोगों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है। उनका यह आक्रोश व्यक्तिगत नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर राष्ट्रीय चिंतन की अभिव्यक्ति है। पहलगाम में आतंकी हमले की घटना के बाद जिस तरह की स्थितियां भारत मे निर्मित हो रही हैं, उसको लेकर भारत जैसे विशाल और विविधता भरे देश के लिए, इस कठिन समय पर सामूहिक संयम और विवेक की सबसे अधिक जरूरत है। आतंकवादी हमलों का उद्देश्य केवल जान-माल की क्षति नहीं होता। आतंक का उद्देश्य केवल सत्ता तक पहुंचना भी नहीं होता है। आतंकवाद सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का भी काम करता है। पाकिस्तान सीधे-सीधे कभी भारत से मुकाबला नहीं कर सकता है। इसे खुद पाकिस्तान बेहतर जानता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रयोजित आतंकवाद ने जिस तरह से धर्म पूछ कर निर्दोष लोगों की हत्या की है, वह निंदनीय है और सख्त से सख्त सजा की हकदार है। भारत में जिस तरह से पिछले कई वर्षों में मुस्लिम समुदाय को लेकर कुछ अतिवादी हिंदू संगठनों द्वारा सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया गया है, वह पाकिस्तान जैसे देश के लिए एक हथियार बन गया है। भारत में यदि हिंदू-मुस्लिम के नाम से झगड़े होते हैं। गृह युद्ध जैसी स्थिति होती है। इसमें नुकसान भारत का ही होना है। पाकिस्तान जो चाहता था, वही भारत के हिंदूवादी संगठन कर रहे हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की यह सुनियोजित कोशिश थी। भारत के भीतर हिन्दू-मुस्लिम विभाजन को गहरा किया जाए। दुर्भाग्य से देश के भीतर कुछ तत्व पाकिस्तान की इस साजिश का आवेश में आकर या जानबूझकर हिस्सा बनते दिखाई दे रहे हैं। राहुल देव ने कहा पाकिस्तान ने जो चुनौती पहलगाम में पर्यटकों की हत्या करके दी है, उसका मुकाबला हम पाकिस्तान के तरीके से नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा भारत के पढ़े-लिखे वर्ग में वही मानसिकता देखने को मिल रही है, जो तथाकथित राष्ट्रवाद की आड़ में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व भी इस ज़हर के खिलाफ मुखर नहीं हो रहे हैं, जिसके कारण और भी स्थिति भयावह हो रही है। जब समाज का पढ़ा-लिखा तबका और जिम्मेदार लोग ही भड़काऊ विचार विमर्श का हिस्सा बन जाएंगे, तब देश का भविष्य क्या होगा। भारत भी पाकिस्तान के रास्ते पर चल पड़ा है। भारत में यह खतरा मंडराने लगा है। आज आवश्यकता है, हम सभी भारतवासी आतंकवाद का जवाब राष्ट्रीय एकजुटता से दें। भारत की ताकत, उसकी विविधता और सामाजिक सौहार्दृ में है। यदि हम आतंकियों के जाल में फंसकर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाएंगे, तो यह देश के दुश्मनों के मंसूबों को मजबूत करेगा। यह चेतावनी केवल शब्द नहीं है, यह समय की पुकार है। इस संकट के समय गुस्से को, विवेक से नियंत्रित करना होगा। नफरत के जाल में नहीं फंसना होगा। हम सभी को यह याद रखना होगा, भारत तब तक अजेय रहेगा, जब तक हम भीतर से अखंड रहेंगें। जो काम भारत में अंग्रेज नहीं कर पाए थे। हिंदू मुस्लिम की एक जुटता से हम अंग्रेजों को भारत से भागने में कामयाब हो पाए थे। पिछले तीन-चार दशकों में हिंदू मुसलमान के बीच मतभेद पैदा कराके आज हम जिस तेजी से आगे बढ़ चले हैं, वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है। जो काम अंग्रेज नहीं कर पाए थे। वह हमने स्वयं करके दिखा दिया है। सत्ता में बने रहने के लिए जिस तरह से आतंक का सहारा लिया जा रहा है। यह भारत के लिए बड़ी चुनौती है। नफरत की खेती भारत में सत्ता पाने के लिए शुरू हुई थी। वह चरम पर पहुंच गई है। इसका हश्र क्या होगा, इसको लेकर सभी ओर चिंता देखने को मिल रही है। इसके लिए अब जनता को स्वयं सामने आना पड़ेगा। अन्यथा हमें भी पाकिस्तान अथवा तालिबानी बनते देर नहीं लगेगी। एसजे/ 28 अप्रैल /2025