अंतर्राष्ट्रीय
05-May-2025


ढाका,(ईएमएस)। अब बांग्लादेश कट्टरपंथ के रास्ते पर है। जिस तरह तालिबान अफगानिस्तान को चलाता है, वैसे ही बांग्लादेश में हालात नजर आ रहे हैं। ढाका में बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामी समूह ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ ने हजारों समर्थकों के साथ एक रैली की इसका मकसद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के महिला मामलों के सुधार आयोग को ठेंगा दिखाना था। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका मानना है कि महिला मामलों के सुधार आयोग की ड्राफ्ट सिफारिशें इस्लामी आस्था के खिलाफ हैं। ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ मुख्य रूप से गैर-सरकारी मदरसा या धार्मिक पाठशालाओं के शिक्षकों और छात्रों का एक मंच है। बांग्लादेश में इसे एक प्रभावशाली समूह माना जाता है। पिछले साल तख्तापलट के बाद धार्मिक उन्माद बढ़ा है। हिफाजत-ए-इस्लाम ने आयोग की उन सिफारिशों पर निशाना साधा, जो मुस्लिम महिलाओं को संपत्ति और अन्य अधिकारों में बराबरी का हक देती हैं। रैली में संगठन के बड़े नेता मौलाना महफुजुल हक ने 12 सूत्री मांगों को रखा, जिसमें पहली मांग मौजूदा महिला सुधार आयोग को समाप्त करना और इस्लामी विद्वानों और महिला प्रतिनिधियों वाला एक नया आयोग गठित करना था। एक और नेता ने आयोग के सदस्यों को सजा देने की मांग रख दी। क्योंकि उनके हिसाब से विरासत के धार्मिक कानूनों को पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता का मुख्य कारण बताकर देश के बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं’ को ठेस पहुंचाई गई है। महिला मदरसा के शिक्षक मोहम्मद शिहाब उद्दीन ने कहा कि पुरुष और महिला कभी समान नहीं हो सकते हैं। सिराज/ईएमएस 05मई25