राज्य
08-May-2025
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- लागत बढ़ने और कम आय बनी वजह - योजना की असफलता ने खड़े किये कई सवाल हरदा (ईएमएस)। गरीब और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की उद्देश्य से शुरू किया गया दीदी कैफे बंद हो गया है। हरदा कलेक्ट्रेट परिसर में स्थापित यह कैफे प्रधानमंत्री की ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत खोला गया था, जिसका मकसद महिलाओं को स्वरोजगार के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करना था। इस कैफे का उद्घाटन 23 सितंबर को केंद्रीय राज्य मंत्री डीडी ऊईक द्वारा किया गया था। इसे राधाकृष्ण स्वसहायता समूह द्वारा संचालित किया जा रहा था, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कार्यरत थीं। कैफे को शुरू करते समय इसकी सफलता को लेकर काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वास्तविकता इससे उलट रही। कैफे की कमाई उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई, जबकि संचालन लागत बढ़ती चली गई। नतीजतन, इसे आर्थिक तंगी के चलते बंद करना पड़ा। कैफे के बंद होने से यहां काम करने वाली महिलाएं बेरोजगार हो गईं। राधाकृष्ण स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि वे कैफे के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का सपना देख रही थीं, लेकिन अब वे फिर से आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। इस योजना की असफलता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या कैफे के लिए सही स्थान का चयन किया गया था? क्या महिलाओं को पर्याप्त प्रशिक्षण और समर्थन मिला? और क्या सरकारी सहायता योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हुआ? कैफे बंद होने के बाद प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कैफे बंद होने की स्थिति में महिलाओं के लिए वैकल्पिक रोजगार की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दीदी कैफे जैसी योजनाओं का उद्देश्य तभी सफल हो सकता है जब इन्हें पर्याप्त समर्थन और सही दिशा दी जाए। वरना ये योजनाएं महज कागजों पर सिमट कर रह जाती हैं। ग्रामीण महिलाओं और स्वसहायता समूह की महिलाएं अब उम्मीद कर रही हैं कि प्रशासन इस पर दोबारा विचार करेगा और बेहतर प्रबंधन और समर्थन के साथ इसे फिर से शुरू करने का प्रयास करेगा।