दुनिया जानती है कि मानव सभ्यता के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है और पड़ोसी देश पाकिस्तान इसका पोषक। इसको लेकर भारत समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर मामला उठाते रहा है। देश की आजादी के बाद से ही पाकिस्तान के शासक और पाकिस्तान की सेना को जब भी मौका मिला उन्होंने भारत और भारतीयों के सीने में खंजर भोंकने की कोशिश की। देश ने हर बार इसका प्रतिवाद किया लेकिन दुष्ट पड़ोसी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। आजादी के बाद पाकिस्तान ने 1965, 1971 और 1999 में भारत से आमने-सामने की युद्ध किया और हर बार बुरी तरह पराजित हुआ। उसके सैनिकों तक ने सरेंडर किया। उसकी सैकड़ों एकड़ जमीन भारत के कब्जे में आई। लेकिन हर बार माफी मांगने के बाद भारत ने उसे माफ़ कर दिया। कहने की जरूरत नहीं कि दुनिया को अब पता चल गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आज का भारत नया भारत है। यह न तो किसी पर अन्याय करता है न अन्याय सहता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो वर्षों से कहते रहे हैं कि ‘हम किसी को छेड़ेंगे नहीं और अगर किसी ने अकारण छेड़ा तो छोड़ेंगे भी नहीं।‘ ताजा मामला पिछले माह की 22 अप्रैल का है जब परिवार के साथ पहलगाम के बायसरन घूमने गए निहत्थे पर्यटकों पर पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी और धर्म पूछ-पूछकर 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी। दुखद और दर्दनाक यह कि उन्होंने महिलाओं के सामने ही उनके पतियों को मारकर उनकी मांग का सिन्दूर पोंछ दिया। यही नहीं तब से लेकर 6 मई की रात तक पाकिस्तानी सेना सीमा पर लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करती रही। आखिर भारत कब तक चुप बैठता ! हमारे प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री लगातार दुनिया के देशों को पाकिस्तान की हरकत बताते रहे, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। आखिर में सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर देश के विपक्षी दलों से उनकी राय पूछी तो सबने मुक्तकंठ से सरकार को देश रक्षा के लिए कदम उठाने की खुली छूट दे दी। नतीजतन, राष्ट्रपति की सलाह पर सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सेना को फ्री हैंड दे दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय बेटियों के सामने उनकी मांग का सिन्दूर पोंछनेवाले आतंकियों को सबक सिखाने के लिए इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ रखा और कहा कि, समय, स्थान और तरीका सेना खुद तय करे। फिर 6-7 मई की रात जो कुछ हुआ उसे दुनिया ने देखा। रात 1.05 बजे से 1.30 बजे के बीच महज 25 मिनट के सैन्य ऑपरेशन में हमारे जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तानी आतंकियों की चूल हिला दी। पाकिस्तान सीमा के भीतर 100 किलोमीटर घुसकर उसके नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। इसमें जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण स्थल बहावलपुर में मरकज सुभानअल्लाह, तेहरां कला स्थित सरजाल, कोटली में मरकज अब्बास और मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल शामिल है। इसी तरह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ठिकाने मुरीदके में मरकज तैयबा, बरनाला में मरकज अहले हदीस और मुजफ्फराबाद में सवाई नाला पर बम बरसाये गए। इसके अलावा हमारे जाबांज हिजबुल मुजाहिद्दीन की शरणस्थली कोटली का मरकज राहिल शाहिद (गुलपुर कैंप) और सियालकोट स्थित मेहमूना जोया पर काल बनकर टूटे। लक्षित हमले में पांच गुलाम कश्मीर (पीओके) और चार पाकिस्तान के हैं। भारतीय सेना के हमले में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के नौ परिजन और 5 शागिर्द भी मारे गए हैं। बताया तो यह भी जाता है कि इनमें मसूद अजहर का छोटा भाई अब्दुल रऊफ अजहर भी मारा गया। अब्दुल रऊफ जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशन हेड होने के साथ-साथ मसूद अजहर का दाहिना हाथ माना जाता था। बताया जाता है कि अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या अब्दुल रऊफ अजहर ने ही की थी। वर्ष 1999 में हुए भारतीय विमान आईसी-814 के अपहरण में भी अब्दुल रऊफ अजहर का नाम आया था। उसे विमान अपहरण का मास्टर माइंड बताया गया था। उस मामले में तत्कालीन सरकार ने जिन तीन आतंकियों को जेल से रिहा किया था, उसमें मसूद अजहर भी शामिल था। आजकल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पिछले 25 वर्षों से निरीहों की मौत का सौदागर मसूद अजहर अपनों की मौत पर जार-जार रोते दिखाई पड़ रहा है। रोते-रोते वह कहता है कि ‘यह देखने से पहले काश, मैं भी मर गया होता।‘ मसूद अजहर पहले हरकत-उल-मजाहिद्दीन और हरकत-उल-अंसार का कमांडर हुआ करता था। आजकल पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की पनाह में एबटाबाद के किसी गुप्त ठिकाने पर मुंह छिपाकर बैठा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर छापामार हमले के बाद सर्वदलीय बैठक में ब्यौरा देते हुए बताया कि भारतीय सैन्य हमले में सौ से अधिक आतंकी मारे गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ अभी बंद नहीं किया गया है। अभी तक हमने पाकिस्तानी नागरिकों और सैन्य ठिकानों पर आक्रमण नहीं किया है। हमने अभी केवल कुछ आतंकी ठिकाने नष्ट किये हैं। यह बानगी भर हैं। हम पाकिस्तान के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। अगर, इतने पर भी नापाक पाकिस्तान अपनी हिमाकत और हरकत से बाज नहीं आया तो भारत फिर धावा बोलेगा। हमारी सेना पाकिस्तान से सीधी लड़ाई के लिए भी कमर कसकर तैयार है। नि:संदेह ऐसा कहकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गेंद पाकिस्तान के पाले में डाल दी है। भारतीय सैनिकों की जांबाजी से पाकिस्तान के हौसले पस्त हो गए हैं। कल तक परमाणु हथियार की गीदड़भभकी देनेवाले पाकिस्तानी राजनेता अब विश्व समुदाय के पास भारत से बचाने की गुहार लगाते फिर रहे हैं। हालांकि आतंक की फैक्ट्री बन चुके पाकिस्तान में वहां के राजनेताओं की कम ही चलती है। वहां सरकार पर सेना का नियंत्रण रहता है और आतंकियों को सेना की शह मिलती रही है। यही कारण है कि 8 मई की रात आतंकियों के समर्थन में पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, उरी, मेंढर, पुंछ, अवंतीपोरा, सांबा, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, जैसलमेर, फालोदी, भुज आदि कई स्थानों पर 50 से अधिक मिसाइल और आत्मघाती ड्रोन से हमला कर दिया जिसे भारतीय सेना ने आकाश में ही नाकाम कर दिया। यही नहीं, जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान का लाहौर और कराची स्थित एयर डिफेन्स सिस्टम और रावलपिंडी का स्टेडियम तबाह कर दिया। भारत ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत पाकिस्तान के आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था लेकिन पाकिस्तान भारत से खुला युद्ध करने और आमादा है। दूसरी तरफ उसकी आतंरिक स्थिति भी ठीक नहीं है। आर्थिक मोर्चे पर बेहाल पाकिस्तान को बलूच विद्रोहियों से निपटना भी मुश्किल हो रहा है। समय-समय पर बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों को मारते-पीटते रहते हैं। इसके अलावा पीओके का बड़ा तबका भारत में घुसने और पनाह के लिए तैयार बैठा है। इससे पहले कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बायसरन हमले के बाद देश की जनता आशा-भरी निगाह से सरकार की ओर देख रही थी। इसलिए जो कुछ हुआ, वह होना ही था। भारत हमेशा से अहिंसा का पुजारी रहा है, आज भी है, लेकिन हम अपने नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। यह नया भारत है जो दुश्मन की आँख में आँख डालकर बात करता है। कोई हमारी तरफ गलत नजर रखेगा तो हम उसको उसी की भाषा में जवाब देना जानते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यवहार कुशलता के कारण अमेरिका, रूस, फ्रांस समेत दुनिया के अधिकांश देश यह मानते हैं कि भारत को अपनी सुरक्षा करने का पूरा हक है। बायसरन में पिछले माह जो हुआ उसे कत्तई सही नहीं ठहराया जा सकता। बायसरन की घटना मानवीयता को शर्मसार करनेवाली है। इस बीच, अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसद रो खन्ना ने पाकिस्तान आर्मी चीफ को तानाशाह बताते हुए कहा कि पाकिस्तान भारत के हमले का पलटवार करने की गलती नहीं करे, अन्यथा उसे भारी पड़ेगा। बहरहाल, दोनों देश युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं। पाकिस्तानी सेना के दबाव में वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आतंकियों की मौत का बदला लेने की बात कर रहे हैं। दुनिया ने देखा कि आतंकियों के अंतिम संस्कार में वहां की सेना के बड़े अधिकारी और राजनेता कैसे मातम मना रहे थे। इधर, भारत के जांबाज सैनिक पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बाट जोह रहे हैं। हालांकि युद्ध किसी समस्या का निदान नहीं है। लेकिन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। तभी तो वह ‘कुरुक्षेत्र’ में लिखते हैं कि - युद्ध को तुम निन्द्य कहते हो, मगर, जब तलक हैं उठ रहीं चिनगारियाँ भिन्न स्वर्थों के कुलिश-संघर्ष की, युद्ध तब तक विश्व में अनिवार्य है। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस / 09 मई 25