चीन ने पाकिस्तान को अपनी उन्नत पीएल -15 एयर-टू-एयर मिसाइल प्रणाली सौंप दी है।जिससे दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। चीन अब खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आ गया है। जिसके कारण भारत की परेशानी आगे चलकर बढ़ सकती है।यह मिसाइल लॉन्ग-रेंज एयर टू एयर कैटेगरी की है। जिसकी मारक क्षमता 200 से 300 किलोमीटर की बताई जा रही है। पीएल -15 मिसाइल को चीन ने आधुनिक लड़ाकू विमानों जे -10सी और जे -20 के साथ जोडा है। चीन इस सिस्टम को पाकिस्तान वायुसेना के जेएफ -17 ब्लॉक-3 फाइटर जेट्स मैं शामिल करने में चीन द्वारा मदद की जा रही है। चीन की यह कार्यवाही चीन-पाकिस्तान के बीच ठोस रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा जा रहा है। चीन ने पाकिस्तान को जो रक्षा प्रणाली दी थी वह भारत की रक्षा प्रणाली का मुकाबला नहीं कर पाई। जिसके कारण पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ है। भारत ने लक्ष्य पर निशाना साधकर सैकड़ों आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने और पाकिस्तान की सुरक्षा प्रणाली को जिस तरह से भारतीय सेना ने ध्वस्त किया है। उससे पाकिस्तान के साथ-साथ चीन की चिंता भी बढ़ गई है। चीन ने अपनी सबसे उन्नत पीएल-15 एअर टू एअर प्रणाली पाकिस्तान में तैनात कर दी है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है, इससे भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहे इस युद्ध का लाभ चीन भी लेना चाहता है। वर्तमान स्थिति में चीन के दोनों हाथ में लड्डू हैं। एक हाथ में पाकिस्तान है, दूसरे हाथ में भारत है। पीएल -15 मिसाइल भारतीय वायुसेना के राफेल और तेजस जैसे विमान को लंबी दूरी से निशाना बना सकती है। यह मिसाइल सक्रिय रडार होमिंग प्रणाली से लैस है। इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बचने में इसे सक्षम माना जाता है। भारत और पाक के बीच में जब युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। ऐसी स्थिति में चीन द्वारा पाकिस्तान को जो सैन्य सहायता दी जा रही है। वह भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है। पाकिस्तान और चीन दोनों ही भारत के पड़ोसी देश हैं। भारत का दोनों देशों के साथ सीमा पर तनाव बना हुआ है। वर्तमान स्थिति का चीन फायदा उठाना चाहता है। वह पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर सामने आ गया है। निश्चित रूप से चीन की प्रतिस्पर्धा भारत के साथ है। भारत जितना कमजोर होगा, उतना ही वह चीन के ऊपर निर्भर होगा, ऐसा हमेशा से चीन सोचता है। पिछले एक दशक में चीन ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ जिस तरह के रिश्ते विकसित किए हैं। भारत के पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता देते हुए। उन देशों के साथ व्यापारिक और सैन्य संबंधों को मजबूत किया है। भारत की पड़ोसी देशों के साथ दूरियां बढ़ी है। उसको देखते हुए भविष्य में भारत को चीन से कड़ी चुनौती मिलना तय है। भारत सरकार को वर्तमान स्थिति में बहुत सोच समझकर निर्णय लेने होंगे। चीन की रणनीति है, भारत जितना कमजोर होगा, चीन को वैश्विक स्थर पर उतना ही फायदा होगा। भारत को अपनी वैश्विक रणनीति इस तरह से बनानी होगी। जिसमें पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से मिलने वाली आर्थिक व्यापारिक एवं सैन्य संतुलन को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाकर रखा जा सके। भारत की थोड़ी सी भी लापरवाही बड़े संकट में डाल सकती है। चीन द्वारा पाकिस्तान को उच्च तकनीक सैन्य उपकरण देने से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है। चीन की पाकिस्तान को मदद देने की नीति भारत को दबाव में रखने का एक बड़ा प्रयास है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी आक्रामक नीतियों का हिस्सा है। पाकिस्तान के साथ शुरू हुए इस युद्ध में भारत को चीन से भी बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। ईएमएस / 09 मई 25