ग्वालियर ( ईएमएस ) | जब तक आत्मरक्षा के लिए शस्त्र नहीं उठाया जाएगा, तब तक हमारा समाज, धर्म और राष्ट्र दोनों असुरक्षित रहेंगे। आतंकवादियों के अंत से ही देश का सिर गर्व उठेगा।जैन धर्म में चार प्रकार की हिंसा-आरंभिक, औद्योगिक, विरोधी और संकल्पी हिंसा बताया हैं। विरोधी हिंसा धर्म की मर्यादा में है किंतु संकल्प पूर्वक हिंसा वर्जित है। सीमा पर सैनिक द्वारा चलाई गई गोली कभी भी पाप नहीं होती, वह राष्ट्र रक्षा की साधुता है। यह विचार आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ने आज दाना ओली स्थित चंपाबाग जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्य श्री ने कहा कि इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस देश के धर्म स्तंभ हैं। देश का सैनिक भारत माता की रक्षा के लिए लड़ रहा है। सैनिक अपने लिए कुछ नहीं करता, वह अपना सब कुछ राष्ट्र, देश, समाज ओर धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर देता है। सैनिक की वजह से ही हमारी धर्म संस्कृति सुरक्षित है। उनकी बदौलत ही हमारा धर्म सुरक्षित है। यूं तो हिंदुस्तान बहुत दयालु है, क्षमा या प्लीज... बोलने पर माफ कर देता है, लेकिन पीठ में छुरा घोंपने वालों को कभी माफ नहीं करता। *आचार्यश्री ने सीमा चल रहे युद्ध के सैनिकों के सुरक्षा के लिए कराई मंत्रो से शांतिधार।* जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ने सीमा चल रहे युद्ध के सैनिकों के सुरक्षा के लिए जैन समाज के लोगो ने भगवान जिनेंद्र का अभिषेक के साथ मंत्रो से बृहद शांतिधार कराई। *इस देश की रक्षा के लिए मरना पड़े तो मर जाना।* आचार्यश्री ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि देश की रक्षा की जरूरत पड़े तो पीछे मत हटना। देश के लिए मरना पड़े तो मर जाना, हमे हाथों में शस्त्र उठाना पड़े तो उठा लेना, आपको कोई हिंसा का दोष नहीं लगेगा। *हमें गर्व हे भारत के सैनिकों पर राष्ट्र की सुरक्षा कर रहे हे।* आचार्यश्री सुबल सागर महाराज ने कहा कि हमें गर्व है इन भारत के जवान सैनिकों पर जो सीमा पर डांटकर राष्ट्र, देश ओर धर्म की सुरक्षा कर रहे है। कोई हमारे देश के परिवार की तरफ उंगली उठाएगा तो हम शांत नहीं बैठने वाले हे। भगवान महावीर ने भी कायर का उपदेश नहीं दिया उन्होंने वीरता का संदेश दिया।