क्षेत्रीय
10-May-2025
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ग्वालियर ( ईएमएस ) | वर्तमान में ऐसे व्यक्ति हैं जो संस्कार विहीन होते हैं। वे परिवार के लिए ही सब कुछ करते हैं, पर अपनी संतानों को धर्म संस्कृति की शिक्षा के साथ संस्कार नहीं दे पाते। अपनी संतानों को छोटे से ही जैन कुल के संस्कार के साथ उनक उज्वल जीवन धर्म की ओर लगाना चाहिए। जीवन में संतानों को पैसे, बंगला, गाड़ी देने की जगह उनको आदर्शमय संस्कार, सदाचरण, सेवा समर्पण ओर धर्म के मार्ग का रास्ता अपनाने की सीखा दो। यह बात आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ने आज शनिवार को दाना ओली स्थित चंपाबाग जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्य श्री ने आगे कहा कि एक व्यक्ति थे उनके पुत्र थे, उस व्यक्ति ने पुत्रों के लिए मकान बनाया सब सुविधाएं बच्चों को दी किंतु धर्म के संस्कार नहीं दिए। अत: बुढ़ापे में व्यक्ति को उनके बच्चों ने उस बनाएं मकान से ही निकाल दिया। वे दर-दर बढ़ाने फिरे। यदि उन्होंने उन बच्चों को छोटे में जैन धर्म के संस्कार, भगवान जिनेंद्र के दर्शन, संत मुनियों को आहार दान तथा संस्कार की शिक्षा दी होती तो उनको दर-दर नहीं भटकना पड़ता। व्यक्ति को संस्कार देना बहुत जरूरी है, क्योंकि संस्कार व्यक्ति के जीवन को आकार देते हैं और उसे सही दिशा में ले जाते हैं। संस्कार व्यक्ति को अच्छे और बुरे के बीच अंतर करने और सही निर्णय लेने में मदद करते हैं। संस्कार व्यक्ति को मोक्ष के मार्ग पर चलने में भी मदद करते हैं, और बिना संस्कार के व्यक्ति की शिक्षा व्यर्थ हो जाती है। जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ससंघ से ग्वालियर अपर कलेक्टर संजीव जैन ओर धर्मपत्नी नीलम जैन ने श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद लिया। माननीय अपर कलेक्टर साहब का सम्मान चंपाबाग कमेटी के डॉ वीरेंद्र गंगवाल, अध्यक्ष प्रमोद टोंग्या, पंकज छाबड़ा, विनय कासलीवाल, उमेश जैन, वीरेंद्र बाबा, कमलेश जैन आदि ने किया।आचार्यश्री के मंगल प्रवचन प्रातः 08 : 30 बजे से होगे। *संतों का जीवन पर कल्याण के लिए है, सैनिक का जीवन राष्ट्र रक्षार्थ के लिए समर्पित है।* आचार्य श्री सुबल सागर महाराज ने कहा कि पूरा देश गर्व से भारत की वीरता की कहानियां आपस में बांट रहा है। वर्तमान में भारत - पाकिस्तान युद्ध में हमारे सैनिक जो बॉर्डर पर खड़े होकर दिन रात 24 घंटे हमारी राष्ट्र ओर देश की रक्षा कर रहे है। उन्होंने कहा कि संत और सैनिक राष्ट्र की आत्मा हैं, संतों का जीवन पर कल्याण के लिए है, जो आध्यात्म और राष्ट्र की सांस्कृतिक उन्नति के लिए समर्पित है। लेकिन सैनिक का जीवन अपने प्राणों की कीमत पर संत समाज और संस्कृति राष्ट्र रक्षार्थ के लिए समर्पित है। संत न हों तो राष्ट्र में जागृति नहीं होती और सैनिक न होते तो राष्ट्र जीवंतता न होती। जो पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे हमले से संपूर्ण भारत वासियों की सुरक्षा कर रहे है। ऐसे हमारे भारत देश की आन बान शान हमारे सैनिकों के लिए शत शत नमन। पाकिस्तान से युद्ध में हमारे भारत के जवानों ने अपना शौर्य दिखाते हुए पाकिस्तान को अच्छा सबक सिखाते हुए सफलता प्राप्त की हैं।