- अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुआ निर्माण, 22 लाख रुपए आई थी लागत नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश में आज कई जगह ब्रिज और फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं। आपको बता दे देश में पहला ब्रिज कब और कहां था। यह करीब 150 साल पहले बनाया गया यह ब्रिज आज भी चट्टान की तरह खड़ा हुआ है। ब्रिज का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुआ था। देश का पहला ब्रिज कोलकाता में हुगली नदी पर बना हावड़ा ब्रिज है, जिसे रबिंद्रन सेतु के नाम से भी जाना जाता है। उस समय इस ब्रिज को लागत 22 लाख रुपए आई थी और कुछ साल बाद इसे दोबारा बनाया गया था। यही ब्रिज आज भी टिका हुआ है। हावड़ा और कोलकाता के बीच इस ब्रिज को बनाने का काम 1862 में शुरू हुआ था और इसे 1974 में शुरू किया गया था। तब यह ब्रिज एक पांतून ब्रिज की तरह काम करता था, जो आवाजाही के लिए पर्याप्त नहीं था और बाद में 1943 में इसे दोबारा बनाया गया, जो हावड़ा ब्रिज के नाम से जाना जाता है। इस ब्रिज को जेसप कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड ने बनाया था, जो मिस्टर वॉल्टन की देखरेख में पूरा हुआ था। हावड़ा ब्रिज को बनाने का प्रस्ताव बंगाल सरकार ने 1862 में दिया था, जो हुगली नदी पर बनाया जाना था। कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट को बनाकर इस ब्रिज को बनाने और उसकी देखरेख करने का जिम्मा सौंपा गया। 1974 में पॉनटून ब्रिज को बनाकर इसे ट्रैफिक के लिए खोला गया और इसके साथ भारत में पहली बार कोई ट्रैफिक नदी के ऊपर से गुजरना शुरू हुआ था। हालांकि जल्द ही नए पुल के निर्माण की जरूरत महसूस होने लगी थी। पोनटून ब्रिज या पीपा पुल एक तरह से नदी पर तैरने वाला पुल होता है। जाहिर है कि यह पुल ट्रैफिक की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं था और जल्द ही दूसरे पुल की जरूरत पड़ी। 1905 में पोर्ट के कमिश्नर ने और मजबूत पुल बनाने की तैयारी शुरू की गई। मिस्टर वॉल्टन की देखरेख में 1936 में नया और मौजूदा हावड़ा ब्रिज बनकर तैयार हुआ। इसे 3 फरवरी, 1943 को पहली बार टैफिक के लिए खोला गया और तब से आज तक यह अडिग खड़ा है और सेवा दे रहा है। बंगाली कवि रबिंद्रनाथ टैगोर के सम्मान में इसका नाम रबिंद्रन सेतु रख दिया गया। 1874 में इस पोनटून यानी पीपा पुल को 22 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया था। तब इसकी लंबाई 1,528 फीट थी, जबकि चौड़ाई 62 फुट थी। पुल के दोनों किनारों पर 7-7 फुट की अतिरिक्त जगह छोड़ी गई, जिसे सर्विस लेन भी कहा जा सकता है। अगर इस पुल की कीमत को आज के वैल्यू में देखें तो करीब 2 हजार करोड़ रुपए के आसपास बनती है। सिराज/ईएमएस 11 मई 2025