12-May-2025


पटना, (ईएमएस)। बिहार सरकार द्वारा एक बार फिर जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की जिम्मेदारी पंचायत को सौंपने की तैयारी की जा रही है। 2023 में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को रोकने के उद्देश्य से यह काम प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारियों को सौंपा गया था, लेकिन अब इस पर सरकार पुनर्विचार करती दिख रही है। सूत्रों की मानें तो इस फैसले के पीछे बिहार प्रदेश मुखिया महासंघ का दबाव बताया जा रहा है। दरअसल महासंघ ने 14 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन राज्य सरकार को सौंपा, जिसमें प्रमाण पत्रों के निर्माण का अधिकार पंचायतों को लौटाने की मांग भी शामिल है। महासंघ ने दावा किया है कि मुख्य सचिव से सहमति मिल चुकी है और प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। चूँकि इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं शायद यही वजह है कि राज्य सरकार प्रदेश मुखिया महासंघ तथा पंचायत प्रतिनिधियों को नाराज नहीं करना चाहती है। मालूम हो कि 2023 से पहले तक पंचायत कार्यालयों में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनते थे, लेकिन गड़बड़ी, फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद सरकार ने इसे प्रखंड स्तर पर केंद्रीकृत कर दिया। उस समय यह कहा गया था कि स्थानीय स्तर पर कई प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए जा रहे हैं, जिससे घुसपैठियों को भारत की नागरिकता हासिल करने में मदद मिली। हालांकि कुछ नेताओं ने आशंका जताई है कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के जरिये वोट बैंक तैयार करने की कोशिश की जा रही है। संतोष झा- १२ मई/२०२५/ईएमएस