ईवी गाड़ियों की क्लीन छवि पर सवाल खड़े किए मुंबई (ईएमएस)। इलेक्ट्रिक वाहनों को हमेशा पर्यावरण के अनुकूल समाधान के रूप में देखा जाता है, लेकिन ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा के चेयरमैन अकीओ टोयोडा का मानना है कि हकीकत इससे कहीं अधिक जटिल है। उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ियों की क्लीन छवि पर सवाल खड़े किए हैं। टोयोडा के अनुसार, सिर्फ टेलपाइप से उत्सर्जन न होना इन्हें पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल नहीं बनाता, क्योंकि इन वाहनों के निर्माण और संचालन से जुड़ी छिपी हुई प्रदूषण लागत को अक्सर नजरअंदाज कर देते है। टोयोडा का मनाना हैं कि ईवी की बैटरियों में इस्तेमाल होने वाली धातुओं जैसे लिथियम, कोबाल्ट और निकल के खनन और परिवहन से भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन होता है। इसके अलावा, अगर इन वाहनों को चार्ज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बिजली थर्मल स्रोतों से आती है, तब कुल मिलाकर इनका कार्बन फुटप्रिंट उतना कम नहीं होता जितना प्रचारित किया जाता है। जापान का उदाहरण देकर टोयोडा ने बताया कि वहां ईवी कारों बढ़ने से कुल उत्सर्जन बढ़ सकता है, क्योंकि बिजली अब भी थर्मल पावर से आती है। इस संदर्भ में टोयोटा के हाइब्रिड वाहनों को एक व्यावहारिक समाधान के रूप में पेश किया गया है। हाइब्रिड गाड़ियां पेट्रोल और इलेक्ट्रिक मोटर के संयोजन से चलती हैं और यह खुद-ब-खुद चार्ज होती हैं, जिससे 40 प्रतिशत तक ईंधन की बचत होती है। अब तक दुनिया भर में कंपनी ने 2.7 करोड़ हाइब्रिड गाड़ियां बेची हैं और उनका दावा है कि इससे 90 लाख इलेक्ट्रिक कारों के बराबर कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है वहां भी बिना बड़े पैमाने पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या बैटरी निर्माण के। टोयोडा का दृष्टिकोण है कि कार्बन न्यूट्रैलिटी की दिशा में एक से अधिक तकनीकों की जरूरत है। हाइब्रिड, प्लग-इन हाइब्रिड, हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहन सभी मिलकर ही इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। भारत जैसे देशों के लिए टोयोटा की सोच विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित है और बिजली उत्पादन अब भी कोयले पर निर्भर है। टोयोटा इंडिया ने भारत में अब तक कोई फुल इलेक्ट्रिक वाहन लांच नहीं किया है, बल्कि अर्बन क्रूजर हायराइडर और इनोवा हाईक्रॉस जैसी मजबूत हाइब्रिड गाड़ियां उतारी हैं, जो चार्जिंग की जरूरत के बिना ही बेहतर माइलेज देती हैं। टोयोडा की यह चेतावनी हमें यह समझने में मदद करती है कि पर्यावरण संरक्षण केवल तकनीक के दिखावे से नहीं, बल्कि समग्र दृष्टिकोण और व्यवहारिक विकल्पों से ही संभव है। आशीष/ईएमएस 14 मई 2025