राज्य
17-May-2025


हकीकत-एक बोरी खाद के लिए केंद्रों पर अंधेरी रात काट रहे किसान... किसान रात में ही पत्थर रखकर अपने आधार कार्ड और दस्तावेजों से लगा रहे लाइन एक बोरी खाद...अन्नदाता बेहाल -खाद-बीज की कालाबाजारी, जमाखोरी और नकली उर्वरकों पर नहीं लग रहा अंकुश -समितियों में बीज न आने से महंगे दामों पर बाजार से खरीदने को मजबूर हैं किसान खाद भोपाल(ईएमएस)। मप्र में अभी मानसून ने दस्तक भी नहीं दी है, लेकिन किसान खरीफ फसलों की बोवनी की तैयारी में जुट गए हैं। बोवनी के लिए किसान खेतों को तैयार कर रहे हैं, वहीं खाद की जुगाड़ में भी जुट गए हैं। इसका असर प्रदेश के सभी 55 जिलों में देखने को मिल रहा है। अधिकांश खाद वितरण केंद्रों पर 24 घंटे किसान कतार में नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि कभी-कभी रात-दिन की मेहनत के बाद भी किसानों को एक बोरी खाद नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि प्रदेश में खरीफ सीजन के लिए पर्याप्त खाद है। गौरतलब है कि प्रदेश में खरीफ फसल की बोवनी का रकबा 125 लाख हेक्टेयर है। इसके लिए करीब 17 लाख मीट्रिक टन खाद की जरूरत होती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार एडवांस में 10-15 लाख मीट्रिक टन खाद बुलाती थी, जबकि इस साल 17 लाख मीट्रिक टन खाद के लिए केन्द्र सरकार के माध्यम से सप्लाई का ऑर्डर पहले दे दिया है। वहीं दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में अभी किसानों की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त खाद है। लेकिन शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, सीहोर, सिवनी, बालाघाट सहित प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्थिति यह है कि किसान खाद के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। खाद की आस में काटी अंधेरी रात शिवपुरी में किसानों को खरीफ फसलों के लिए तैयारी करनी है। अब जरूरत है तो खाद की, लेकिन खाद आसानी से मिलता नहीं। यही वजह है कि जब प्रशासन ने खाद के लिए टोकन देने का ऐलान किया तो किसानों की भीड़ खाद टोकन सेंटर पर जमा होने लगी। शिवपुरी के कोलारस और बदरवास तहसील से तो रात-रात भर जागकर किसानों के लाइन में लगने की तस्वीर सामने आई हैं। खाद के लिए परेशान हो रहे इन किसानों का कहना है कि प्रशासन की खाद वितरण प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। 1600 का एक कट्टा डीएपी किसान अपने खेतों को तैयार कर बादलों के बरसने का इंतजार करते हुए खाद की जुगाड़ में जुटा हुआ है। बीते दिनों शिवपुरी प्रशासन ने घोषणा की थी कि खाद के लिए बुधवार को टोकन बाटे जाएंगे। लेकिन इस दौरान किसानों की इस कदर भीड़ खाद सेंटरों पर जमा होने लगी कि उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। किसानों का कहना है कि सरकार के पास खाद मिल नहीं रहा है और मार्केट में डीएपी का खाद कट्टा 1600 का मिल रहा है जो किसानों की खरीद से बाहर है। शिवपुरी के कोलारस में रात भर जागे किसान खाद की मांग और उसकी आपूर्ति के बीच का संकट अब किसानों को लगातार परेशान करने लगा है। यही वजह है कि शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील से जैसे ही किसानों को खाद वितरण के लिए टोकन वितरण की सूचना मिली, वह रात में अपने-अपने टोकन सेंटर्स पर पहुंचकर लाइन में खड़े नजर आए। किसी ने अपनी चप्पल रखी तो किसी ने खाद का खाली कट्टा। तो किसी ने पत्थर के नीचे अपने कागज रखकर और अपने नंबर की किताब लगाकर रात भर खुले आसमान के नीचे काटी। भीड़ देख बुलानी पड़ी 5 थानों की पुलिस अशोकनगर में करीब 3 हजार किसान खाद वितरण केंद्र पर पहुंच गए। भीड़ बढऩे से अव्यवस्था फैल गई। हालात संभालने के लिए 5 थानों से पुलिस बल बुलाया गया। इसके साथ ही एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी भी सुबह 5 बजे खाद वितरण केंद्र पर तैनात हो गए। पुलिस प्रशासन ने मुश्किल से व्यवस्था संभाली। करीब 15 दिन बाद डीएपी का रेक लगा था। इसके बाद गोदाम में लगभग 600 टन डीएपी खाद रखी गई। 2 दिन तक पुलिस प्रशासन ने व्यवस्था बनाने की योजना तैयार की थी। अनुमान था कि एक से डेढ़ हजार किसान ही आएंगे। लेकिन सुबह से ही लगभग 3 हजार किसान पहुंच गए। काफी देर तक धक्का-मुक्की होती रही। किसानों की भीड़ देखकर 5 थानों की पुलिस बुलाई गई जिन्होंने मोर्चा संभाला। टोकन के लिए धक्का-मुक्की शिवपुरी के कोलारस में खाद के टोकन वितरण को लेकर बुधवार को अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। मंगलवार शाम से ही किसान तहसील कार्यालय पर पहुंचने लगे थे। कई किसानों ने रात में ही पत्थर रखकर अपने आधार कार्ड और दस्तावेजों से लाइन लगा दी। सुबह टोकन पाने की होड़ में धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। देहरदा सडक़ गांव के किसान राजाराम रघुवंशी शाम 6 बजे से लाइन में थे, लेकिन दोपहर तक उन्हें टोकन नहीं मिला। इसी तरह सीताराम और दिलीप नाम के किसान सुबह 4 बजे से लाइन में थे, पर 11 बजे तक टोकन नहीं ले पाए। किसानों ने प्रशासन पर व्यवस्था बिगाडऩे और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत की। एक टोकन पर किसान को 5 डीएपी, 5 एनपीके, यूरिया और नैनो डीएपी खाद प्राप्त होगी। वितरण कार्य में तहसीलदार और नायब तहसीलदार को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मानसून में अभी डेढ़ से दो महीने का समय है, लेकिन पिछले सालों में खाद की कमी के अनुभव से सीख लेकर किसान इस बार पहले से ही तैयारी में जुट गए हैं। बीज की खरीदी भी हुई शुरू किसानों ने सोयाबीन, उड़द के बीज की खरीदी भी शुरू कर दी है। बीज विक्रेता दूसरे शहरों से ज्यादा उत्पादन वाले बीज लेकर आ रहे हैं, लेकिन यह प्रमाणित है या नहीं इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं। कुछ किसान मंडी से भी बीज खरीद लेते हैं, जिससे उसका उत्पादन कैसा होगा, इसकी जानकारी व्यापारी नहीं दे पाते हैं। पहले सहकारी समितियों में सोयाबीन का बीज आता था, लेकिन पिछले कई वर्षों से बीज नहीं आ रहा है। सिर्फ प्रदर्शन बीज आता है, जो कुछ किसानों को ही मिल पाता है। इसलिए किसान महंगे दामों पर बाजार से अप्रमाणित बीज खरीद लेते हैं। यदि सरकारी बीज किसानों को मिलने लगे, तो उन्हें बाजार में परेशान नहीं होना पड़ेगा और बीज पर अनुदान भी मिलेगा। विनोद उपाध्याय / 17 मई, 2025