नर और नारी एक समान है आप नारी हो या नर, संस्कार अच्छा होना बहुत जरुरी है संस्कार ठीक नहीं है तो क़ोई भी मनुष्य सही या गलत की पहचान नहीं कर सकता है नारी में माँ का रूप से बड़ा औऱ क़ोई नहीं है क्योंकि जन्म देती है आप दूसरे को उपदेश देने से पहले खुद ही अंदर झाँक कर देखिए आप के अंदर ईश्वर मौजूद है ना तो डरता है ना ही डराता है एक बात समझ कर चलिए आप जैसा करेंगे वैसा ही भरेंगे, ईश्वर के ध्यान में लीन हो जाये तब आप समझ जायेंगे क्या अच्छा है क्या बुरा दूसरों की देखा देखी करना ठीक नहीं है आप खुद ही ऐसा सोचे यदि हम उस जगह रहते तो क्या करते कहाँ जा रहा है आज का समाज इसपर ध्यान देने की जरुरत है दूसरे को दुःख को उसके बुरे वक़्त में नजरअंदाज करना आपकी सबसे बड़ी भूल है हम जब अकेले थे तो माता पिता मेरे साथ थे खुश थे कहीं शिफ्ट करना भी आसान था ईश्वर सब देख रहा है आप भगवान राम से प्रेरणा लें उस समय पिता के वचन को निभाना सबसे बड़ा कर्तव्य था उन्हें यानि राजा दसरथ को श्रवण कुमार की गलती से मारे जाने पर उनके माता पिता से श्राप के कारण यह देखने को मिला जिसे उन्हें भी काफी दुःख हुआ लेकिन नियति को कौन टाल सकता है और ऐ हुआ जंगल जाना वो भी 14वर्ष के लिए इतना आसान नहीं था वो वनवास श्री राम को ही मिला था लेकिन उनके साथ माता सीता और भ्राता लखन भी गए ऐ निर्णय भी आसान नहीं होता है आप कल्पना कर देखिए आप घबराहट में बैचैन हो जायेंगे क्योंकि 14वर्ष जंगल में रहना क़ोई आसान काम नहीं होता है ऐ मरने जीने जैसा है लेकिन यदि आप सही में जिसे सच्चे मन से चाहते हैं उसे मौत से भी डर नहीं होता और वहाँ ना तो घर है ना ही पलंग ना ही बिजली पानी और खाने हेतु गैस का सिलेंडर लेकिन हिम्मत है और यही हिम्मत उसे महान बनाता है जो दुःख में साथ है वही आपका सच्चा आदमी है चाहे अपना हो या पराया, माता सीता ऐसा नारी बनना इतना आसान नहीं है लेकिन जीवन में भगवान श्री राम के साथ मरने जीने की इच्छा ही पुरे विश्व में माँ के रूप में पूजन किया जाना गर्व की बात है मैं आपको कहुँ कि माँ के रास्ते पर चलना चाहिए तो बुरा भी लगेगा लेकिन जीवन में दुःख के समय खुश रहना भी आएगा आप खुद को विचारों में अच्छा बनने की कोशिश करें विचार ही आपको महान बना सकती है इसमें कई कष्ट भी होंगे लेकिन जो सही लगता है उसे करें आपका धर्म क्या है ऐ देखिए यदि आप अपने धर्म को सही से निभाना आ गया तो आपके आने वाली पीढ़ी भी आपके रास्ते चल पड़ेगी और कुछ बन कर निकलेगी और जहाँ जायेंगे आपका मान सम्मान बढ़ेगा आप यदि किसी पर गुस्सा हैं हैं तो पहले एक पल के लिए शांति से काम लें और उस आदमी को पहले परख लीजिये उसमें कितना ईश्वर ने शक्ति दि है ज्ञान से और उसके कर्म से मालूम हो जायेगा कष्ट जीवन में आते हैं एक गाना है जो संतोष आनंद द्वारा लिखा है एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है जिंदगी औऱ कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है... इसमें दुःख औऱ सुःख दोनों पर सब खुश रहते हैं गुरुगोबिंद सिंह जब खालसा पंथ की स्थापना कर रहें थे तब उन्होंने पूछा की कौन मुझे शीश दे सकता है आम सभा में सभी हैरान हो गए तब एक उनका भक्त ने आवाज़ लगाया मैं दूंगा और तब तम्बू में बाहर खून को देखकर लोग हैरान थे कि लगता है शीश कट गया है लेकिन बाद में दूसरा डरा नहीं और ऐसे कर पांच आदमी चले गए और बाद में सब सही सलामत निकलें यही गुरुजी जाँचना चाहते थे कि मौत से डर है या मुझसे और पंच प्यारे कहलाये, जों गुरू के अमृत का पान किया यहाँ अमृत है मौत को मात देकर गुरु का सच्चा भक्त अतः आज समाज में संस्कार को महत्व देने की जरुरत है यदि आपके पास अच्छा संस्कार नहीं मिला तो पाने की कोशिश करें आज आधुनिकता की दौड़ में बहुत से मनुष्य इतना अंधा हो गए है कि शादी के बाद ना तो अपने माँ को पूछता है ना तो पिता को सम्मान देता है बुरे वक़्त में तो उन्होंने अपने को कष्ट में रखकर अबको इस काबिल बनाया कि आप आज खा कमा कर परिवार में अपना धर्म निभा रहें हैं ऐ कैसा समाज, क़ोई खुद ही क्लबो में जाता है और जिम में जबकी पत्नी के जाने पर दूसरे के कहने पर शक की दृश्टिकोण से देखता है इसका उल्टा भी होता है और बाद में अंदरूनी मनमुटाव हो जाता है जों ठीक नहीं है आपस में प्रेम से रहें और एक संस्कार को बचाये रखें जों हमारे पूर्वजों ने काफी तप कर दिया है अतः उसे बनाए रखें यदि तकलीफ है तो बातें कर समस्या का हल निकालने की कोशिश करें एक बार मैं हरिद्वार शांतिकुंज में गया और वहाँ फुलपैंट पहना था लेकिन वहाँ हवन करने हेतु धोती पहनना पड़ा लेकिन ऐ गुरु का आश्रम है अतः हम उसमें उनके नियम की अवहेलना नहीं कर सकते इसका जरूर क़ोई अध्यात्मिक कारण होगा भारत में हमेशा नारी को पूजन किया है उनके अच्छे संस्कार और उनके त्याग और बलिदान के कारण और इसलिए हमारी भारत माता का आशीर्वाद है कि हम सभी मिलकर रहते है अतः जीवन में सबका अपना धर्म है जिसे निभाना चाहिए ऐ सभी के लिए बराबर हो, समानता का अधिकार होना चाहिए और साथ मिलकर एक अच्छा नागरिक बनना ही h कर्तव्य है जिसमें पग पग पर कांटे भी आएंगे लेकिन आप उसमें अच्छा बनकर निकलोगे.यदि आप नौकरी करते हैं तो आपका कर्तव्य है कि उसे सफलता पूर्वक करें जिससे आपका मान सम्मान बढ़ेगा छुट्टी के दिनों में ईश्वर का ध्यान करें क्योंकि यही सबसे सही वक़्त होता है उसे जानने की इसमें किसी को बुरा लगता है तो लगने दीजिये ईश्वर आपको ऐसा बना देगा कि किसी भी संकट में आपको मदद करेगा लोग क्या बोलते हैं इसपर जाने की जरुरत नहीं है जहाँ तक सेहत का सवाल है ईश्वर ही साथ देने वाला है और डरने की बिलकुल जरुरत नहीं है क्योंकि ईश्वर की आराधना से आपको क़ोई छू भी नहीं सकेगा और घर की छोड़िये बाहर लोग आपको अच्छा मानते हैं तो आप सही हैँ खत्म हो जाता एक दिन यह जवान शरीर लेकिन आप सही होंगे तो मौत से डर नहीं लगेगा बल्कि प्रेम हो जायेगा महा कुम्भ में मैं किसी कारणवश नहीं जा सका लेकिन यदि मैं अच्छा इंसान हूँ तो पाप और पुण्य आपके कर्म से प्राप्त होता है क्योंकि अगर आप अच्छे होंगे तो आपपर लोग ज्यादा भरोसा करेंगे क्योंकि ईश्वर सब देख रहा है उसे मालूम है र्त कौन है अतःरावण से माता सीता को बचाने के लिए भगवान लक्षमन ने एक रेखा खींची थी जिसे रावण ने धोखे से पार करवा दिया और माता सीता को रावण ने अशोक वाटिका में कैद कर लिया अतः भगवान राम ही थे जो रावण जैसा महाशक्ति को उसके अहंकार को उस अमृत को भी सूखा कर उसका नाश कर दिया ऐ थी उनकी उस समय की मर्यादा बाद में जब गद्दी मिली तो प्रजा को सर्वोपरि माना और एक प्रजा को माता सीता पर गलत आरोप के कारण त्याग दिया क्योंकि उस समय उनका धर्म था प्रजा के हितों को ध्यान देना जिससे ऐ दर्शाता है कि परिवार की राजनीती नहीं की और माता सीता ने भी इसे सहर्ष स्वीकार किया अतः कागजी शेर से अच्छा है राम भक्त बनना और मर्यादा का पालन करना नर नारी एक समान है सभी अपने अपने कर्मों करने के लिए उतरदाई हैं जिसे आपसी सहमति से ही हल किया जा सकता है यदि लगता है वो गलत है और मैं सही हूँ तो आँखे बन्द कीजिये और कुछ छन के लिए कोई उत्तर ना दे ईश्वर का ध्यान दे और एक कदम आप पीछे हटे और वो भी ताकि संतुलन बना रहें लेकिन बार बार ऐसा हो रहा तो किसी के जिद पर अगर ऐसा होता है तो आप अपनी जिंदगी को बोझ क्यों लेते हैं क्योंकि ऐ आपके इतना व्याकुल कर देगा कि आप आत्महत्या की ओर अग्रसर करेंगी और यदि ऐसा नहीं करते हैं तो जवानी खत्म होने के बाद जब बूढ़े होंगे तो मदद के लिए क़ोई साथ नहीं आएगा और छोड़ दीजिये मोह माया भगवान श्री राम के चरणों में गिरकर मन में प्रभु को बसा लीजिये आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा और सत्य का पता अपने आप लग जाएगा क्योंकि राम नाम ही सत्य है भगवान को जंगल में निचे ही सोना पड़ा लेकिन हिम्मत नहीं हारें ना तो किसी से कुछ लिए और शबूरी के जूठे बैर भी खा गए और केवटराज को सोने की अंगूठी भी माता सीता ने उनके नाव से चढ़ने के बाद दि. अतः हमेशा हमें परिवार को मिला कर माता पिता को साथ लेकर चलना चाहिए। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस / 20 मई 25