झाबुआ (ईएमएस)मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है इसलिए आवश्यक है कि नदियों के उद्गम का भ्रमण किया जाए और नदियों में पानी को उपलब्धता बनी रहे इसके लिए परिणामदायी प्रयास किए जाएं। इसी उद्देश्य से पिछले वर्ष से अब तक 63 और जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत विगत एक माह में 32 नदियों के उद्गम का भ्रमण किया गया हैं, क्योंकि बड़ी नदियों के संरक्षण के साथ छोटी नदियों का भी संरक्षण आवश्यक हैं, जिससे नदियों के स्त्रोत सूखने न पाए। जल स्तर में हो रही कमी पर चिंता जताते हुए केबिनेट मंत्री ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आज से ही प्रयास किए जाने की महती आवश्यकता है। उक्त विचार कैबिनेट मंत्री मध्यप्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास और श्रम विभाग प्रहलाद सिंह पटेल द्वारा व्यक्त किए गए हैं। वे जिला मुख्यालय स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में बुधवार को आयोजित पंच सरपंच सम्मेलन में अध्यक्षीय उद्बोधन कर रहे थे। आयोजित पंच सरपंच सम्मेलन का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस मौके पर झाबुआ आए पटेल का जिले की परंपरा नुसार अभिनंदन किया गया। मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग सुश्री निर्मला भूरिया द्वारा अतिथि मंत्री प्रहलाद पटेल का स्वागत जिले की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती झुलडी, साफा, तीर कमान और गुड़िया भेंट कर किया गया। पंच सरपंच सम्मेलन में कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा हैं। जिसके तहत जल संरचनाओं के नव निर्माण में खेत तालाब, अमृत सरोवरों एवं अन्य जल संग्रहण संरचनाओं के निर्माण के साथ पुरानी संरचनाओं के जीर्णोद्धार, साफ सफाई का कार्य किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि यह अभियान दूरगामी और तत्वरित रूप से परिणाम दिए जाने के साथ ही मानसून के पूर्व जल संरचनाओं को तैयार किए जाने के उद्देश्य से किया जा रहा हैं। केबिनेट मंत्री ने जल स्तर में हो रही कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आज से ही प्रयास किए जाने की महती आवश्यकता है। मंत्री ने कहा कि सशक्त पौधारोपण को प्राथमिकता देना चाहिए, जिससे एक पौधे को वृक्ष बनने में लगने वाले समय में उसका संरक्षण किया जाए ताकि हम उससे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि हमारे बूढ़े बुजुर्गों द्वारा विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करते हुए प्रकृति का संरक्षण किया गया, लेकिन आज बदलती जीवन शैली में हम उन परंपराओं को भुलते जा रहे हैं। भविष्य की पीढ़ी के साथ न्याय हो, इसलिए जरूरी है कि प्रकृति का संरक्षण करते हुए विकास की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जाए। मंत्री ने सरपंचों से आग्रह करते हुए कहा कि गांधी की ग्राम स्वराज की अवधारणा में आवश्यक है कि ग्राम आत्मनिर्भर बने और विकेंद्रीकृत रूप से व्यवस्था का सुचारू संचालन हो जिसके लिए सभी से आग्रह है कि अपनी पंचायत की आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की कार्ययोजना बनाएं। उन्होंने आव्हान किया कि जल संरक्षण के लिए प्रयास करें और क्षेत्र के विकास में अपना योगदान दें। पटेल ने ग्राम पंचायतों के विकास के लिए ग्राम पंचायत भवनों की नई डिजाइन के आधार पर 37.5 लाख लागत से 3 मंजिल तक निर्माण किए जाने, सरपंचों को 25 लाख रुपए तक वित्तीय अधिकार दिए जाने, 5वें वित्त और स्टांप मद में इस वित्तीय वर्ष में बजट बढ़ाए जाने के बारे में बताया। साथ ही जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इसी वर्ष 589 कार्य शुरू कर एक वर्ष के भीतर पूर्ण करने, संपर्कता अभियान के तहत पहले चरण में 806 फलियों और द्वितीय चरण में 755 फलियों तक सड़क बनाए जाने का लक्ष्य पूर्ण करने हेतु आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास में दूरगामी सोच के साथ ही पंचायती राज की अवधारणा को सफल बनाया जा सकता हैं। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग सुश्री निर्मला भूरिया ने जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों से आए सरपंचों से प्रधानमंत्री आवास योजना, जल गंगा संवर्धन अभियान, जिले में पेसा एक्ट के तहत की गई गतिविधियों और ग्रामीण विकास की अवधारणा के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम में विगत वर्ष जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत सीड बॉल्स बिखेरने सम्बंधी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया जिसकी कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने सफलता का प्रतिशत जान कर खुशी जाहिर की। कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंचों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम के दौरान जनप्रतिनिधि सहित जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। ईएमएस/ डॉ. उमेशचन्द्र शर्मा/21/5/2025/