लंदन (ईएमएस)। किशोरों की नींद का सीधा संबंध उनकी बौद्धिक क्षमता से होता है। अध्ययन में 3,000 से अधिक किशोरों को शामिल किया गया और उनकी नींद की आदतों को फिटबिट जैसे उपकरणों से ट्रैक किया गया, दिमाग की स्कैनिंग की गई और सोचने-समझने की क्षमताओं के विभिन्न परीक्षण कराए गए। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज और शंघाई की फूडन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे रात में जल्दी सोते हैं और औसतन सात घंटे 25 मिनट की नींद लेते हैं, वे मानसिक तौर पर अधिक विकसित होते हैं और सोचने-समझने के परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। जबकि देर रात तक जागने वाले बच्चों की बौद्धिक क्षमता तुलनात्मक रूप से कम पाई गई। रिपोर्ट के अनुसार, नींद में मामूली फर्क भी दीर्घकालीन असर डाल सकता है। खासकर अगर बच्चा समय पर सो जाए तो इसका प्रभाव उसकी संपूर्ण मानसिक सेहत पर सकारात्मक होता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अच्छी नींद लेने वाले बच्चों की दिल की धड़कन सामान्य रहती है और ब्रेन स्कैन से भी यह पुष्टि हुई कि उनका मस्तिष्क अधिक सक्रिय और विकसित होता है। अमेरिकन अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार, 13 से 18 साल के बच्चों को हर रात 8 से 10 घंटे की नींद लेना जरूरी है, लेकिन आज के डिजिटल युग में मोबाइल और अन्य डिवाइसों के कारण यह आदत बिगड़ती जा रही है। प्रोफेसर बारबरा साहाकियन का कहना है कि नींद में थोड़ा सा बदलाव भी भविष्य में बुद्धि और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कॉलिन एस्पी ने कहा कि किशोर अवस्था में नींद की जरूरत सबसे ज्यादा होती है और इस समय की गई लापरवाही आगे चलकर मानसिक थकान और सामाजिक समस्याएं पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों की राय है कि स्कूलों में बच्चों को नींद और स्वास्थ्य से जुड़ी शिक्षा दी जानी चाहिए, ताकि वे अपनी आदतों में सुधार ला सकें और एक बेहतर मानसिक विकास सुनिश्चित कर सकें। अगर आपका बच्चा देर रात तक मोबाइल या स्क्रीन पर समय बिता रहा है, तो यह उसकी मानसिक क्षमता पर गंभीर असर डाल सकता है। सुदामा/ईएमएस 22 मई 2025